डेविस कप में Bopanna का पलड़ा भारी रहेगा
लखनऊ। भारत के अनुभवी टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना अब डेविस कप में मोरक्को के खिलाफ अंतिम मैच खेलकर अपने टेनिस करियर का समापन करेंगे। 43 साल के बोपन्ना का इस मैच में भी पलड़ा भारी रहना तय है। हाल ही में वह अमेरिकी ओपन के पुरुष युगल के फाइनल में भी पहुंचे थे। पिछले दो दशक के अपने करियर में इस खिलाड़ी ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। बोपन्ना ने 2002 में पदार्पण किया था। यह खिलाड़ी इस बात से हैरान है कि कि समय के साथ डेविस कप खेलने का उत्साह कम हो रहा है। बोपन्ना को पिछली पीढ़ियों के खिलाड़ियों की तुलना में मौजूदा खिलाड़ी डेविस कप खेलने के प्रति उतने उत्साहित नहीं लगते। रविवार को अपना आखिरी डेविस कप मुकाबला (मोरक्को के खिलाफ) खेलने की तैयारी कर रहे बोपन्ना ने कहा कि यह मशीन की तरह हो गया है। आओ, खेलो और जाओ। उन्होंने निराशा भरे लहजे में कहा कि मौजूदा दौर के खिलाड़ियों के लिए डेविस कप किसी अन्य टूर्नामेंट की तरह हो गया है दूसरी तरफ, डेविस कप एक ऐसा टूर्नामेंट है जिसमें रैंकिंग मायने नहीं रखेगी।
इसमें टेनिस में कमजोर माने जाने वाले देश भी कभी-कभी दिग्गजों को मात देने में सफल हो जाते हैं। इस सफलता के लिए हालांकि टीम में एकता, योजना, वैकल्पिक खिलाड़ियों की मौजूदगी जरूरी है। बोपन्ना ने कहा कि पहले टीम में शानदार माहौल हुआ करता था, जो पिछले कुछ वर्षों से नहीं दिख रहा है। हमें इसे वापस लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि डेविस कप पूरी तरह से टीम में एक दूसरे को समझने, टीम के साथ समय बिताने, एक साथ रहने, हर किसी की एकजुटता के बारे में है। मुझे लगता है कि यह एक छोटी सी कड़ी है। एक सफल टीम बनाने के लिए हमें इसे वापस लाने की जरूरत है। बोपन्ना ने 2002 में पदार्पण किया था लेकिन उन्हें भी नहीं पता कि टीम इस स्थिति तक कैसे पहुंची। उन्होंने कहा कि ऐसा होने का कोई खास कारण नहीं है। आप जानते है कि टूर (एटीपी) अलग तरह की प्रतियोगिता है और डेविस कप अलग है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि टेनिस का खेल किसी नौकरी की तरह हो गया है। मैं सिर्फ डेविस कप की बात नहीं कर रहा हूं लेकिन आम तौर पर हर कोई आता है, मैच खेलता है, चला जाता है। खिलाड़ी लगभग 30 सप्ताह तक लगातार यात्रा करते हैं, उनके पास अपना खुद का कोच, अपना फिजियो और सब कुछ होता है। बोपन्ना ने अपने करियर में पेस और भूपति दोनों के साथ खेला है। डेविस कप का उनका अभियान रविवार को उनके 33वें मुकाबले के साथ समाप्त होगा। पेस और भूपति के दमदार खेल के कारण बोपन्ना को भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ा। वह डेविस कप में पेस के साथ जोड़ी बनाकर सात मैच तो वही भूपति के साथ जोड़ी बनाकर दो मैचों में खेले हैं। बोपन्ना ने कहा कि इन दोनों दिग्गजों के खेलने का अनुभव काफी अलग था।
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