बच्चों में RSV से जुड़े लक्षणों की हुई पहचान
नई दिल्ली। अमेरिका के ब्रिघम और बोस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि गंभीर आरएसवी से पीड़ित बच्चों की श्वास नलिकाओं में नेचुरल किलर (एनके) कोशिकाओं की संख्या बढ़ी हुई थी। ये कोशिकाएं बीमारी की गंभीरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। आरएसवी छोटे बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसी श्वसन समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती होने का प्रमुख कारण है। हालांकि, यह अब तक स्पष्ट नहीं था कि कुछ बच्चों में क्यों हल्के लक्षण होते हैं जबकि कुछ अन्य को गंभीर बीमारी होती है। ब्रिघम एंड विमेंस हॉस्पिटल की मेलोडी जी डुवाल के अनुसार, एनके सेल्स वायरल संक्रमण के दौरान एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक प्रतिक्रिया प्रदान करती हैं, लेकिन ये फेफड़ों की सूजन में भी योगदान दे सकती हैं। अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के गंभीर मामलों में भी एनके सेल्स की बढ़ोतरी देखी गई थी, और यह सूजन और बीमारी की गंभीरता को बढ़ाने में भूमिका निभा सकती हैं।
इस अध्ययन से यह भी पता चला कि गंभीर रूप से बीमार बच्चों के श्वास नलिकाओं में एनके सेल्स की संख्या असामान्य रूप से बढ़ी हुई थी, जबकि उनके रक्त में इनकी संख्या कम पाई गई। साथ ही, इन कोशिकाओं की संरचना और उनकी रोगग्रस्त कोशिकाओं को मारने की क्षमता में भी परिवर्तन देखा गया। शोधकर्ताओं का मानना है कि इस अध्ययन से भविष्य के उपचारों के नए लक्ष्यों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जो गंभीर वायरल बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकते हैं। टीम ने पहले भी महामारी के बाद बच्चों में आरएसवी संक्रमण में वृद्धि की रिपोर्ट दी थी। वर्तमान में, आरएसवी से बचाव के लिए टीके उपलब्ध हैं, जो 19 महीने से कम उम्र के बच्चों, 60 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों और गर्भवती महिलाओं के लिए हैं।
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