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  • Tuesday, 23 December 2025
Ankita Lokhande ने पुराने दौर को याद किया वीडियो साझा

Ankita Lokhande ने पुराने दौर को याद किया वीडियो साझा

मुंबई। हाल ही में अभिनेत्री अंकिता लोखंडे ने फिल्म इंडस्ट्री के सुनहरे दौर को याद करते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया है। इस वीडियो में अंकिता, अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के मशहूर गाने ‘पालकी पे होके सवार’ पर अपने भावपूर्ण एक्सप्रेशंस और खूबसूरत डांस के जरिए उस दौर को श्रद्धांजलि देती नजर आ रही हैं। अंकिता ने यह वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि 80–90 के दशक के गाने सिर्फ सुनने के लिए नहीं होते थे, बल्कि उन्हें दिल से महसूस किया जाता था। उन्होंने माधुरी दीक्षित को महज एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि एक एहसास बताया। अंकिता ने यह भी सवाल उठाया कि क्या आज की पीढ़ी को वैसी आवाजें, वैसी अदाएं और वैसा जादू फिर से देखने-सुनने को मिलेगा। उन्होंने माना कि मौजूदा दौर में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, लेकिन उस समय की भावनात्मक गहराई अब कम नजर आती है। अभिनेत्री ने यह भी साझा किया कि वह खुद को बेहद खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्होंने उस स्वर्णिम युग को देखा और जिया, भले ही वह उनका बचपन रहा हो। अंकिता के मुताबिक, उसी दौर के गानों और कलाकारों ने उन्हें सपने देखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि वह आज भी उस दौर से सीखती हैं और वहीं से उन्हें अपने अभिनय के लिए ऊर्जा और भावनाएं मिलती हैं।

‘पालकी पे होके सवार’ गाना 1993 में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म ‘खलनायक’ का हिस्सा था। इस गीत को अल्का यागनिक ने अपनी मधुर आवाज में गाया था, जबकि इसके बोल आनंद बक्शी ने लिखे थे और संगीत लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने दिया था। गाने में माधुरी दीक्षित की अदाओं और नृत्य ने इसे अमर बना दिया। आज भी यह गीत शादियों, कार्यक्रमों और सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जाता है। फिल्म ‘खलनायक’ का निर्देशन सुभाष घई ने किया था और इसमें माधुरी दीक्षित के साथ संजय दत्त और जैकी श्रॉफ मुख्य भूमिकाओं में नजर आए थे। संजय दत्त का डायलॉग ‘नायक नहीं, खलनायक हूं मैं’ आज भी दर्शकों के बीच उतना ही लोकप्रिय है। अंकिता लोखंडे का यह वीडियो एक बार फिर साबित करता है कि पुराने गानों और कलाकारों का जादू समय के साथ और भी गहरा होता चला जाता है। मालूम हो कि 80 और 90 के दशक के फिल्मी गाने आज भी लोगों के दिलों में खास जगह बनाए हुए हैं। उस दौर के गीत न सिर्फ सुने जाते थे, बल्कि महसूस किए जाते थे।

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