
ब्रह्मपुत्र नदी पर सबसे बड़ा बांध बनाने जा रहा China, आलोचना पर दी सफाई
कहा-इस परियोजना से अन्य देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा
बीजिंग। चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना पर कहा कि इस परियोजना से अन्य देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और दशकों के अध्ययन के जरिए से सुरक्षा मुद्दों का समाधान होगा। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने 137 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना पर आशंकाओं को खारिज कर दिया। यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से बेहद नाजुक हिमालयी क्षेत्र में बनाई जा रही है, जो टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने दशकों तक गहन अध्ययन किया है और सुरक्षा उपाय किए हैं। माओ ने बांध से जुड़ी चिंताओं के बारे कहा कि चीन हमेशा से सीमा पार गुजरने वाली नदियों के विकास के लिए जिम्मेदार रहा है। उन्होंने कहा कि तिब्बत में जलविद्युत विकास का दशकों से गहन अध्ययन किया जा रहा है और परियोजना की सुरक्षा और पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए सुरक्षा उपाय किए गए हैं। भारत और बांग्लादेश की चिंताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस परियोजना से निचले इलाकों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चीन मौजूदा चैनलों के माध्यम से निचले इलाकों के देशों के साथ संपर्क बनाए रखेगा और नदी के किनारे रहने वाले लोगों के लिए आपदा निवारण और राहत पर सहयोग बढ़ाएगा। यारलुंग जांगबो नदी के निचले इलाकों में चीन के जलविद्युत विकास का उद्देश्य स्वच्छ ऊर्जा के विकास में तेजी लाना तथा जलवायु परिवर्तन और चरम जल विज्ञान संबंधी आपदाओं से निपटना है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह जलविद्युत परियोजना यारलुंग जांगबो नदी के निचले हिस्से में बनाई जाएगी। यारलुंग जांगबो ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम है। बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बड़ा मोड़ लेते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!