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  • Sunday, 07 December 2025
Justice Yashwant Verma के खिलाफ शुरु हो सकती है महाभियोग की कार्यवाही!

Justice Yashwant Verma के खिलाफ शुरु हो सकती है महाभियोग की कार्यवाही!

नई दिल्ली। घर में जले नोट मिलने के मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग जैसी कार्यवाही हो सकती है। उनके खिलाफ तैयार रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंच गई है। बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश कांड में जांच रिपोर्ट चीफ जस्टिस को सौंप दी गई थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इस पर यशवंत वर्मा को विकल्प दिया था कि वे अपने पद से इस्तीफा दे दें और यदि ऐसा नहीं किया तो फिर महाभियोग की कार्रवाई की जाएगी। उन्हें जवाब देने के लिए 9 मई तक का वक्त मिला था। जस्टिस वर्मा ने इस संबंध में जवाब भी मुख्य न्यायाधीश को दे दिया है। उनके जवाब और तीन सदस्यीय न्यायिक पैनल की रिपोर्ट को अब चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई होगी। उन्हें इस्तीफे का विकल्प दिया गया था, जिससे वह पीछे हटते दिखे हैं।

ऐसे में महाभियोग का ही विकल्प बचा है। अब चीफ जस्टिस ने जब फाइल को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के समक्ष भेज दिया है तो उनकी भूमिका समाप्त हो जाती है। उनकी ओर से फाइल को पीएम और राष्ट्रपति को बढ़ाने का अर्थ है कि उन्हें हटाने की सिफारिश की गई है। आर्टिकल 124 के तहत किसी जज को हटाने की कार्रवाई नियुक्ति देने वाली अथॉरिटी यानी राष्ट्रपति की ओर से ही हो सकती है। किसी भी जज को आर्टिकल 124 और आर्टिकल 217 के तहत ही हटाया जा सकता है। इसी के तहत महाभियोग का प्रस्ताव संसद में लाया जा सकता है। इसके लिए दुर्व्यवहार और अक्षमता को आधार माना जाता है। महाभियोग के प्रस्ताव के लिए यह जरूरी है कि इस पर कम से कम 100 लोकसभा सांसदों और 50 राज्यसभा सांसदों की सहमति हो।

सदन के स्पीकर की ओऱ से महाभियोग प्रस्ताव के लिए तीन सदस्यों की कमेटी भी बनाई जा सकती है। इस कमेटी में न्यायिक क्षेत्र के ही तीन लोग होते हैं। कमेटी में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया या सुप्रीम कोर्ट का कोई जज रहता है। इसके अलावा हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस और कोई अन्य विद्वान न्यायविद इसका हिस्सा रहता है। यदि कमेटी रिपोर्ट को सही पाती है तो फिर उसे सदन में पेश किया जाता है और उस पर वोटिंग होती है। महाभियोग की प्रक्रिया के तहत कम से कम दो तिहाई सांसद जज को हटाने के पक्ष में होने चाहिए। यही नहीं संबंधित जज को संसद के समक्ष पक्ष रखने के लिए भी बुलाया जा सकता है। महाभियोग प्रस्ताव को संसद से मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति के साइन की जरूरत होती है।

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