अमृत, सिद्धि साध्य योग और हस्त नक्षत्र के संयोग में Nag Panchami
बरसात के मौसम में सर्प से काटने की घटना बहुत देखी जा सकती है ऐसा कहा जाता है कि किसी पूर्व भव के बेर के अनुसार किसी व्यक्ति को नाग काट लेता है। वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य डॉ हुकुमचंद जैन ने बताया श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी के नाम से विख्यात है। इस वार श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि 09 अगस्त शुक्रवार को अमृत योग, सिद्धि योग,,साध्य योग हस्त नक्षत्र के संयोग में शुभ रहेगी।इस दिन नागों का पूजन किया जाता है इस दिन व्रत करके सांपों को पूजा जाता है गरुड़ पुराण में ऐसा सुझाव दिया गया है कि नाग पंचमी के दिन घर के दोनों तरफ दरवाजे के दोनों तरफ बगल में नाग की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग है अर्थात शेषनाग आदि सर्पराजाओं का पूजन श्रावण शुक्ल पंचमी को होना चाहिए इससे नागों के प्रकोप से बचने के लिए यह दिन रखा गया है।
जैन ने कहा जिनकी कुंडली में कालसर्प योग है अथवा राहु की महादशा है या केतु की महादशा है और अंतर्दशा है उन्हें भी इस प्रकार से विधिवत ना की आकृति बनाकर उनका पूजन करना चाहिए और हो सके तो किसी सपेरे से जिंदे नाग को मुक्त करना चाहिए इससे कुंडली में राहु या कालसर्प योग है तो वह योग समाप्त हो जाता है। हालाकि कालसर्प योग के संदर्भ में प्राचीन ज्योतिष ग्रंथ में कहीं वर्णन नहीं आया कि कालसर्प योग कुंडली में बनता है और इतना भयानक होता है जितना कि उसे आज के समय में बताया जाता है। प्राचीन समय में भी इसे सर्प योग का नाम दिया गया था और कहा था कि जिस स्थान पर यह योग बनता है वह राहु पाप ग्रह होने की वजह से व्यक्ति को उन वस्तुओं को अभाव करता है जन्म कुंडली के जिस घर में यह बैठ जाता है इसलिए कालसर्प योग से डरने की आवश्यकता नहीं है।
नागपंचमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त
09 अगस्त शुक्रवार को नागपंचमी के दिन नागदेवता की पूजा वैसे तो पूरे दिन कभी भी की जा सकती है।
लेकिन पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को सुबह 05 :47 बजे से 08: 27 बजे तक रहेगा। दोपहर में 12:13 से 01 तक का समय भी पूजा के लिए शुभ है। इसके बाद प्रदोष काल में भी पूजा का शुभ महूर्त शाम को 06:33 बजे से रात को 08:20 बजे तक रहेगा।
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