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Mahatma Gandhi कॉलेज ऑफ लॉ एन्ड रिसर्च सेंटर ग्वालियर में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

Mahatma Gandhi कॉलेज ऑफ लॉ एन्ड रिसर्च सेंटर ग्वालियर में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन

ग्वालियर/ महात्मा गाँधी कॉलेज ऑफ लॉ में "एआई पॉवर्ड वर्ल्ड : चेंजिंग डाइमेंशन्स ऑफ लाइफ" विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का दो सत्रों में आयोजन हुआ. आयोजन सचिव प्रो. नौवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि सुबह 11 बजे से प्रारम्भ हुए उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. दिनेश बाबू गौतम जी, कुलपति ओपीजेएस विश्वविद्यालय, चूरू (राजस्थान) तथा विषय वक्ता के रूप में प्रो. हरमीत सिंह संधु, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ (पंजाब) उपस्थित रहे. द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि पदम चंद गुप्ता, प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ग्वालियर, की गरिमामयी उपस्थिति के साथ विशिष्ट अतिथि के रूप में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश द्वय राहुल वर्मा एवं  धीरेन्द्र सिंह परिहार तथा विषय विशेषज्ञ के रूप में डॉ. आर. एस. जादौन मंचासीन रहे.

उद्घाटन सत्र में विधिवत शुभारम्भ के बाद संस्था के प्राचार्य डॉ. शिव प्रताप सिंह राघव जी ने संस्था का परिचय कराते हुए संस्था द्वारा विधि विषय में किये गए शोधकार्यों के बारे में बताया. मुख्य वक्ता डॉ. गौतम ने अपने उद्बोधन में इंटेलिजेंस एवं आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस के बीच अंतर को अभिव्यक्त करते हुए डाटा प्रोटेक्शन एक्ट-2003 के बारे में बताया. इसके पश्चात विषय वक्ता डॉ. हरमीत सिंह संधु ने एआई के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए वाद विश्लेषण में इसके महत्व के बारे में बताया, चैट जीपीटी के नुकसान के और साइबर क्राइम के बढ़ते हुए केसेस के बारे में बताया. डॉ. महेंद्र कुमार शर्मा (पूर्व प्राचार्य एमजीसीएल, ग्वालियर) ने अपने वक्तव्य में दुनिया के विभिन्न देशों में चल रहे एआई युद्ध के बारे में चर्चा करते हुए न्याय वितरण प्रणाली के विषय में चिंता व्यक्त की साथ ही डीप फेक के बारे में बताया. यशपाल सिंह तोमर, चेयरमैन महात्मा गाँधी कॉलेज ऑफ लॉ,ग्वालियर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में क्वांटम टेक्नोलॉजी में एआई के उपयोग और उसके प्रभावों के बारे में बताया, उन्होंने कहा कि एआई हमारी पूरी जीवन शैली को बदल कर रख देगा. उद्घाटन सत्र का समापन संस्था के निदेशक चंद्रप्रताप सिंह सिकरवार द्वारा अतिथियों के आभार प्रदर्शन के साथ हुआ.

राष्ट्रीय सेमिनार के द्वितीय सत्र का प्रारम्भ दोपहर 3 बजे से हुआ जिसमें स्वागत उद्बोधन के दौरान संस्थान के वाइस चेयरमैन जन्मेजय सिंह तोमर ने पत्रकारिता एवं राजनीति में एआई के उपयोग के बारे में बताया. मुख्य अतिथि श्रीमान जिला न्यायाधीश महोदय ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान में मानव एआई के साथ सोता है, एआई के साथ उठता है. मशीन में डाली गयी चिप के रूप में आत्मा हो सकती है परन्तु जज में संवेदना होती है क्या मशीन में संवेदना होगी. एआई को व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया जा सकता अराजकता फैल जायगी. यदि मशीन के पास थॉट प्रोसेस आ जायगी तो उसके लिए कानून फैल हो जायगा. उन्होंने सभी के लिए सन्देश दिया एआई का सीमित सदुपयोग प्रयोग करें, अत्यधिक उपयोग से आपका मस्तिष्क ब्लॉक हो जायगा.इसके पश्चात धीरेन्द्र सिंह परिहार(अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, ग्वालियर) ने अपने उद्बोधन में एआई के न्यायिक विज्ञान में उपयोग तथा उसकी परिसीमाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

विषय विशेषज्ञ के रूप उपस्थित डॉ. आर. एस. जादौन ने पीपीटी के साथ अपने उद्बोधन में एआई की शुरुआत से लेकर वर्तमान तक के विकास के बारे में क्रमबद्ध विविरण दिया. डॉ. जे. पी. कुशवाह जी ने एआई के व्यावसायिक नैतिकता में उपयोग के बारे पीपीटी द्वारा जानकारी दी. नगर के गणमान्य विधि वेत्ता प्रो. सुभाष शर्मा द्वारा अपने सुपरिचित अंदाज में विधिक शिक्षा में एआई के उपयोग के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किये. समापन सत्र में आभार डॉ. महेंद्र कुमार द्वारा किया गया. दोनों ही सत्रों का सफल मंच संचालन प्रो. विमला प्रजापति एवं प्रो. अंकिता राजावत द्वारा किया गया.

राष्ट्रीय सेमिनार में डॉ. रीना दोहरे, वसुधा बुधोलिया, सुनील श्रीवास, प्रो. शिमला किरार, रूचि भदौरिया, मयंक मिश्रा, आकांक्षा रावत, सिलोचना सहित २५ प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र पढ़े. कार्यक्रम में डॉ. रूबी गुप्ता, प्रो. सुरेश जाटव, प्रो. गिर्राज शर्मा, प्रो. सोम्या गुप्ता, डॉ. मनीषा गिरी, प्रो. अनुपमा वैद्य, राजकुमार गुप्ता, नितेश शर्मा, पंकज यादव, नितिन शितोले, शैलेन्द्र सिंह, राजीव कुशवाह सहित गणमान्य विधिवेत्ता, शोधार्थी तथा छात्र छात्राएं उपस्थित रहे. अंत में सेमिनार का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया.

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