PM Modi और पुतिन ने डेढ़ घंटे तक एकांत में की गुफ्तगू, फिर यूक्रेन युद्ध पर रखा अपना रुख
बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ खास मीटिंग की। दोनों नेताओं ने कार में भी लगभग डेढ़ घंटे एकांत में बात की। इस मीटिंग के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध को लेकर अपना स्पष्ट रुख सामने रखा। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी। हरीश ने कहा कि युद्ध का हल केवल बातचीत और कूटनीति से ही संभव है और भारत हर उस कोशिश में भागीदार बनेगा जो शांति का रास्ता दिखाए। इसके अलावा भारत ने यह भी साफ किया है कि इस युद्ध की कीमत विकासशील देश अदा कर रहे हैं, क्योंकि ऊर्जा कीमतें बढ़ गई हैं। भारत की यह दो टूक ऐसे समय में आई है जब अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया है। हरीश ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के संपर्क में हैं, ताकि बातचीत के जरिए इस संघर्ष का रास्ता निकले। उन्होंने कहा, हम मानते हैं कि ये सभी कूटनीतिक कोशिशें युद्ध को खत्म करने और स्थायी शांति का रास्ता खोल सकती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, भारत ने युद्ध से पैदा हो रहे वैश्विक संकट की ओर भी ध्यान दिलाया। हरीश ने कहा कि इस युद्ध का सबसे बड़ा असर विकासशील देशों पर पड़ा है।
उन्होंने कहा, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी और अन्य आर्थिक चुनौतियों से ग्लोबल साउथ के देश मुश्किल में हैं और उन्हें खुद ही संघर्ष करना पड़ रहा है। भारत ने अपनी ‘पीपल-सेंट्रिक’ नीति का हवाला देते हुए बताया कि कैसे यूक्रेन को मानवीय मदद दी गई और विकासशील देशों को आर्थिक सहयोग मुहैया कराया गया। हरीश ने कहा कि टिकाऊ शांति के लिए सभी पक्षों की भागीदारी बेहद जरूरी है। भारत के प्रतिनिधि पी हरीश ने महासभा को संबोधित करते हुए कहा, भारत यूक्रेन की स्थिति को लेकर लगातार चिंतित है। हम मानते हैं कि निर्दोष लोगों की मौत अस्वीकार्य है। किसी भी संघर्ष का समाधान रणभूमि पर नहीं, बल्कि संवाद के जरिए निकलना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान को भी दोहराया, जिसमें कहा गया था- यह युद्ध का युग नहीं है।इसके अलावा भारत ने ट्रंप-पुतिन की मीटिंग पर भी अपना रिएक्शन दिया। भारतीय प्रतिनिधि ने कहा, हम इस दिशा में हाल की सकारात्मक प्रगति का स्वागत करते हैं। हमने ट्रंप और पुतिन के बीच अलास्का में हुए शिखर सम्मेलन का समर्थन किया। हम उस सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करते हैं। साथ ही, वॉशिंगटन डीसी में अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से यूक्रेन के राष्ट्रपति और यूरोपीय नेताओं से हुई बातचीत को भी अहम मानते हैं।
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