2025 में PM Modi ने की 23 देशों की 11 विदेश यात्राएं, कोविड के बाद सर्वाधिक दौरा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की अपनी चार दिवसीय महत्वपूर्ण विदेश यात्रा संपन्न कर स्वदेश लौटे हैं। इस यात्रा का सबसे प्रमुख पहलू ओमान के साथ मुक्त व्यापार समझौते और व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) पर हस्ताक्षर करना रहा। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दृष्टि से अहम था, बल्कि इसने चालू वर्ष 2025 को प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं के लिहाज से एक ऐतिहासिक साल बना दिया है। उपलब्ध सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष प्रधानमंत्री ने कुल 11 विदेश यात्राएं कीं, जिनके माध्यम से उन्होंने 23 देशों का दौरा किया और लगभग 42 दिन विदेशी धरती पर व्यतीत किए। वर्ष 2015 के बाद यह पहली बार है जब प्रधानमंत्री की वैश्विक सक्रियता इस स्तर पर देखी गई है। अगर पिछले रिकॉर्ड्स पर नजर डालें, तो 2015 में उन्होंने 13 यात्राओं के दौरान 28 देशों का दौरा किया था और 54 दिन विदेश में बिताए थे। उस वर्ष के बाद, 2025 उनके कार्यकाल का सबसे सक्रिय और व्यापक विदेश दौरों वाला वर्ष साबित हुआ है। इस साल की विदेश नीति में एक स्पष्ट रणनीतिक बदलाव भी देखने को मिला है। मई माह के बाद, विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के उपरांत, इन दौरों की आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। इन यात्राओं के पीछे ठोस आर्थिक और रणनीतिक कारण निहित रहे हैं। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में, जब चीन ने दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं, भारत के लिए इनके वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करना अनिवार्य हो गया था। प्रधानमंत्री के दौरों का एक बड़ा लक्ष्य इन संसाधनों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करना रहा।
इसके साथ ही, अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाए जाने के बाद, भारत को अपने निर्यात बाजार में विविधता लाने की तत्काल आवश्यकता थी। ओमान और अन्य अफ्रीकी व मध्य-पूर्वी देशों के साथ हुए समझौते इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं, ताकि भारतीय उत्पादों के लिए नए और सुरक्षित बाजार तैयार किए जा सकें। प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं में आई इस तेजी का एक अन्य कारण घरेलू राजनीतिक कैलेंडर भी रहा। वर्ष 2024 की तुलना में, जब लोकसभा चुनावों के साथ-साथ कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव थे, वर्ष 2025 में चुनावी व्यस्तताएं अपेक्षाकृत कम रहीं। केवल दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों में चुनाव होने के कारण प्रधानमंत्री को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए अधिक समय मिल सका। तुलनात्मक रूप से देखें तो उनके दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में कोविड-19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्राएं लगभग थम सी गई थीं। वर्ष 2020 में जहां कोई यात्रा नहीं हुई, वहीं 2021 और 2022 में भी वैश्विक प्रोटोकॉल के चलते सक्रियता सीमित रही। अब, सामान्य होते हालातों और बदलती वैश्विक आर्थिक व्यवस्था के बीच, ये हालिया दौरे भारत को एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की कोशिश के रूप में देखे जा रहे हैं।
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