
फिल्म 'Thama' अपनी अलग पहचान बनाने में रही सफल
मुंबई। निर्देशक आदित्य सरपोतदार ने मैडॉक हॉरर-वर्स की मल्टीस्टारर फिल्म ‘थामा’ के साथ भारतीय सिनेमा में नई दिशा दिखाई है। पिछली फिल्मों ‘स्त्री’ और ‘भेड़िया’ की तरह, ‘थामा’ भी अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रही है। जहां पिछली फिल्मों में डर और रहस्य जंगल के इर्द-गिर्द केंद्रित थे, वहीं इस बार हॉरर को प्रेम और मानवीय संवेदनाओं के साथ जोड़कर पेश किया गया है। फिल्म की कहानी एक रहस्यमय जंगल के आसपास घूमती है, जहां अतीत आज भी जीवित है और प्राचीन रक्षक जागरूक हैं। यह जंगल समय और इतिहास का एहसास कराता है और कहानी इसी रहस्यमय ब्रह्मांड के इर्द-गिर्द बुनी गई है। ‘थामा’ हॉरर-थ्रिलर होने के साथ-साथ इमोशनल कॉमेडी का अनुभव भी देती है, जिसमें डर, हंसी और प्यार की समान मात्रा मौजूद है। फिल्म मानवीय भावनाओं को प्रमुखता देती है और यह दिखाती है कि अपने प्रियजनों की सुरक्षा के लिए व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। आयुष्मान खुराना ने छोटे शहर के पत्रकार आलोक की भूमिका निभाई है, जिसका जीवन एक सुपरनैचुरल घटना के कारण पूरी तरह बदल जाता है। उनका किरदार सरलता से शुरुआत करता है, लेकिन कहानी के बढ़ने के साथ गंभीर और गहराता जाता है। रश्मिका मंदाना ने अपने किरदार में भावुक और स्वाभाविक अभिनय किया है, जिसने फिल्म की भावनात्मक गहराई को और बढ़ा दिया है।
फिल्म का दूसरा भाग तेज़ गति से आगे बढ़ता है और कई जबरदस्त दृश्य प्रस्तुत करता है। खासकर आलोक और ‘भेड़िया’ के बीच की लड़ाई, उच्च स्तरीय स्पेशल इफेक्ट और बेहतरीन एक्शन सीन के साथ दर्शकों को रोमांचित करती है। ‘स्त्री’ के डरावने किरदार ‘सिरकटा’ की वापसी इस यूनिवर्स में बढ़ते खतरे का संकेत देती है। परेश रावल, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और सत्यराज ने भी उत्कृष्ट अभिनय किया है। नवाजुद्दीन का गंभीर किरदार और सत्यराज का पैरानॉर्मल एक्सपर्ट के रूप में योगदान फिल्म की गंभीरता और गहराई को बढ़ाता है। नोरा फतेही का कैमियो कहानी में अहम जोड़ साबित होता है। फिल्म के गीत और दृश्य केवल दिखावे तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कहानी और पात्रों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ‘थामा’ ने बॉलीवुड हॉरर की पारंपरिक शैली को चुनौती दी है और एक नया, समृद्ध और भावनात्मक अनुभव पेश किया है, जिसे दर्शकों ने काफी सराहा है। कुल मिलाकर, ‘थामा’ सिर्फ एक हॉरर फिल्म नहीं बल्कि एक सिनेमाई ब्रह्मांड का हिस्सा है, जो भविष्य में आने वाली क्रॉसओवर फिल्मों के लिए भी दिशा तय करती है। मालूम हो कि मल्टीस्टारर फिल्म ‘थामा’ ने बड़े पर्दे पर दर्शकों को एक अलग और यादगार अनुभव दिया है। यह फिल्म लोककथाओं, पारिवारिक भावनाओं, कल्पना और मनोरंजन का ऐसा मिश्रण पेश करती है, जो भारतीय हॉरर फिल्मों की पारंपरिक शैली से अलग है।
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