
आकर्षण और सम्मान में फर्क समझें : Georgia
मुंबई। हाल ही में भारतीय फिल्मों में महिलाओं के चित्रण, खासकर सदाबहार “डांस नंबर्स” को लेकर अभिनेत्री जियोर्जिया एंड्रियानी ने गंभीर बहस की शुरुआत की है। जियोर्जिया ने साफ तौर पर कहा है कि नारीत्व का उत्सव मनाना और महिलाओं को केवल आकर्षण का साधन बना देना, दोनों में जमीन-आसमान का फर्क है। उनका मानना है कि फिल्म इंडस्ट्री को यह समझने की जरूरत है कि मनोरंजन और महिलाओं के सम्मानजनक चित्रण के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।डांस सीक्वेंस और फिल्मों में महिलाओं की भूमिका पर खुलकर बोलते हुए जियोर्जिया ने एक संतुलित और परिपक्व दृष्टिकोण पेश किया। उन्होंने इस बहस की जटिलता को स्वीकारते हुए कहा, “एक सीन को किस सोच के साथ गढ़ा गया है और उसे कैसे पेश किया गया है, यही सबसे जरूरी होता है। जब सही इरादे और सम्मान के साथ किया जाए, तो डांस नंबर्स भी बेहद सशक्त हो सकते हैं और महिलाओं की खूबसूरती, आत्मविश्वास और ताकत का उत्सव बन सकते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें ऐसे प्रोजेक्ट्स में दिलचस्पी है जो केवल किसी महिला के शरीर को नहीं, बल्कि उसकी आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास को दिखाते हैं। जियोर्जिया की यह सोच इस बात पर जोर देती है कि दर्शकों को सिर्फ स्क्रीन पर जो दिख रहा है, उसी पर रुकना नहीं चाहिए, बल्कि यह भी समझना चाहिए कि उस सीन के पीछे की सोच और संदेश क्या है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह ऐसी फिल्मों का हिस्सा बनना चाहती हैं जो महिलाओं के साथ सम्मानजनक व्यवहार को प्राथमिकता दें और फिर भी कलात्मक अखंडता और मनोरंजन को बनाए रखें। उन्होंने कहा, “मैं ऐसी भूमिकाएं चुनना चाहती हूं जो सिनेमा में कुछ सार्थक योगदान दें। जब कहानी कहने के पीछे ईमानदार मंशा हो, तो मनोरंजन और सम्मान एक साथ चल सकते हैं। फिल्म इंडस्ट्री में समाज की सोच को आकार देने की ताकत होती है और मैं उस सकारात्मक बदलाव का हिस्सा बनना चाहती हूं।” जियोर्जिया एंड्रियानी का यह नजरिया फिल्म इंडस्ट्री में एक नई सोच की शुरुआत की तरह देखा जा सकता है, जहां महिलाएं सिर्फ सुंदरता का प्रतीक नहीं, बल्कि सशक्तिकरण और आत्मविश्वास का चेहरा बनेंगी।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!