कोयला आयात कम करने Coal Sector में होगा सुधार
मंत्रालय बना रहा कोकिंग कोल उत्पादन बढ़ाने की योजना
नई दिल्ली। देश में कोयला आयात कम करने के लिए सरकार कोयला क्षेत्र में सुधार का तीसरा दौर शुरू करने वाली है। इसका उददेश्य आयात में भारी कमी करना और उद्योगों के लिए कोयले की बेरोक उपलब्धता सुनिश्चित करना है। 1971 में कोयले का राष्ट्रीयकरण होने और वर्ष 2015 में ई-नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसे सुधारों का तीसरा दौर माना जा रहा है, जिसमें इस्पात जैसे क्षेत्रों का खास ध्यान रखा जाएगा। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए सरकार सबसे पहले नई फॉरवर्ड बिडिंग नीलामी शुरू करेगी, जिसमें देसी कोकिंग कोल की नीलामी दो तरीकों से होगी। मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि पहला तरीका उन इस्पात संयंत्रों के लिए उपयोग होगा जिनमें वॉशरी (कोयला धुलाई संयंत्र) भी है।
दूसरा रास्ता उन इस्पात संयंत्रों के लिए होगा, जिनमें वॉशरी ही नहीं है। जो कारखाने अपना कोयला खुद धोएंगे, उन्हें उससे निकले उत्पाद भी बेचने की इजाजत होगी। अधिकारी ने कहा कि इसके लिए कोयला मंत्रालय नीलामी में बोली लगाने वालों से यह पाबंदी हटा देगा कि आखिर में कोयले का उपयोग कहां किया जा रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सात सहायक इकाइयों में एक भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) इस काम के लिए वॉशरी लगाएगी। बीसीसीएल देश में कोकिंग कोल का खनन करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। जेएसडब्ल्यू स्टील के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम उन वॉशरी की नीलामी की बात कर रहे हैं, जिन पर कोकिंग कोयला आता है और नई वॉशरी की लिए लंबे अरसे तक कोकिंग कोयला उपलब्ध कराने की बात कर कर रहे हैं। इस नीलामी से इस्पात क्षेत्र को देश में निकला कोयला मिलता रहेगा और विदेश से आने वालो कोयले पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी।
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