
Online Gaming सट्टे का खात्मा करने गूगल और मेटा जैसी कंपनियों का लेना होगा साथ
नई दिल्ली। रिसर्च इंस्टीट्यूशन ‘डिजिटल इंडिया फाउंडेशन’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि गैरकानूनी ऑपरेटर डिजिटल विज्ञापन और मार्केटिंग चैनलों, भुगतान पारिस्थितिकी और सॉफ्टवेयर प्रदाताओं के बेहद परिष्कृत नेटवर्क के जरिये अपना संचालन बरकरार रखने में सफल रहते हैं। भारत में तेजी से बढ़ते अवैध ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर के खात्मे के लिए जरूरी है कि सरकार गूगल और मेटा जैसी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ मिलकर प्रयास करे। रिपोर्ट कहती है, इस गैरकानूनी क्षेत्र का सालाना आकार 100 अरब डॉलर से अधिक है और यह प्रति वर्ष 30 प्रतिशत की दर से तेजी से बढ़ रहा है। ऐसा डिजिटल माध्यम को तेजी से अपनाने, प्रौद्योगिकी प्रगति और नियामकीय अनिश्चितता बढ़ने के कारण है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय नियामकों को गूगल और मेटा जैसे सोशल मीडिया दिग्गजों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने की जरूरत है क्योंकि ऑनलाइन जुए से संबंधित प्रचार पर लगाम लगा पाना काफी असंगत बना हुआ है। डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक अरविंद गुप्ता ने कहा कि ऐसा होने से धनशोधन और अवैध भुगतान तेजी से बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि गूगल और मेटा जैसी कंपनियां विज्ञापन और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) से लाभ कमाती हैं। शायद यही कारण है कि ये कंपनियां अक्सर अवैध सट्टेबाजी और जुआ फर्मों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में नाकाम रहती हैं। गुप्ता ने कहा, इन कंपनियों का कम-से-कम एक तिहाई हिस्सा इन वेबसाइट के जरिये ही आ रहा है। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां विज्ञापन से पैसा कमा रही हैं। प्रभावशाली लोग भी इसके प्रभाव को ध्यान में रखे बगैर गलत तरीके से इनका प्रचार कर रहे हैं।
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