
Trump की योजना पर सहमत नहीं मिस्र और जॉर्डन, अब क्या करेगा अमेरिका
हमास ने भी इस प्रस्ताव को गाजा पर अमेरिकी कब्जे जैसा बताया
वॉशिंगटन। मिस्र और जॉर्डन ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव को खारिज किया है, इससे गाजा पट्टी से फिलिस्तीनियों को निकालने और उन्हें अन्य अरब देशों में बसाने की योजना तैयार की थी। मिस्र ने स्पष्ट किया है कि वह क्षेत्र में न्यायपूर्ण शांति बनाए रखने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग को तैयार है, लेकिन फिलिस्तीनियों को जबरन गाजा से बाहर करने की नीति का समर्थन नहीं करेगा। ट्रंप की योजना के तहत गाजा के फिलिस्तीनियों को अन्य अरब देशों, विशेष रूप से मिस्र और जॉर्डन में बसाने की बात कही गई थी। हालांकि, दोनों देशों ने ट्रंप की इस योजना को सिरे से खारिज कर दिया है। जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला ने ट्रंप से मुलाकात कर कहा कि उनकी प्राथमिकता उनके देश के नागरिकों की सुरक्षा और स्थिरता है। उन्होंने कहा कि जॉर्डन के पास इसतरह के फैसले लेने का पूरा अधिकार है, जो उनके देश के हित में हों। इसके बावजूद, जॉर्डन ने मानवीय आधार पर गाजा के 2000 बीमार बच्चों को अपने देश में शरण देने का प्रस्ताव दिया है। जॉर्डन, जो अमेरिका का करीबी सहयोगी है, फिलिस्तीनी मूल के शरणार्थियों की बड़ी आबादी वाला देश है। किंग अब्दुल्ला को आशंका है कि यदि और अधिक फिलिस्तीनी शरणार्थी जॉर्डन आए, तब इससे देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है और सत्ता में अस्थिरता पैदा हो सकती है।
इतना ही नहीं हमास ने भी ट्रंप के प्रस्ताव को खारिज कर गाजा पर अमेरिकी कब्जे जैसा बताया है। संगठन ने कहा कि वह गाजा के लोगों को जबरन कहीं और स्थानांतरित करने की योजना को कभी स्वीकार नहीं करेगा। इसके अलावा, हमास ने मुद्दे पर अरब देशों के नेताओं से आपातकालीन शिखर सम्मेलन बुलाने की अपील की है, ताकि इस प्रस्ताव के खिलाफ सामूहिक रूप से कदम उठाया जा सके। अब क्या करेगा अमेरिका? मिस्र, जॉर्डन और हमास के विरोध के बाद अब सवाल उठ रहा है कि अमेरिका और ट्रंप इस मुद्दे पर आगे क्या कदम उठाएंगे। फिलहाल, ट्रंप प्रशासन ने इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि गाजा के पुनर्निर्माण और फिलिस्तीनियों के भविष्य को लेकर अमेरिका और अरब देशों के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं।
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