India-US व्यापार समझौता जल्द संभव
जवाबी शुल्क पर समाधान अंतिम चरण में
नई दिल्ली। भारत को उम्मीद है कि वर्ष के अंत तक अमेरिका के साथ संरचनात्मक व्यापार समझौता अंतिम रूप ले सकता है। दोनों देशों ने पिछले कुछ महीनों में वार्ताकार स्तर पर अधिकांश विवादित मुद्दों को सुलझा लिया है, जिनमें भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत के जवाबी शुल्क भी शामिल हैं। वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने फिक्की की 98वीं वार्षिक आम बैठक में बताया कि समझौता तभी सार्थक होगा जब अमेरिकी पक्ष भारतीय निर्यात पर लगाए गए दो तरह के शुल्कों 25 प्रतिशत जवाबी शुल्क और रूसी तेल की खरीद से जुड़े 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क दोनों का समाधान करे। ये शुल्क अगस्त से लागू हुए थे और भारतीय निर्यातकों पर भारी बोझ डाल रहे हैं। अग्रवाल के अनुसार भारत और अमेरिका दो समानांतर ट्रैक पर बातचीत कर रहे हैं। पहला, व्यापक द्विपक्षीय व्यापार करार है, जिसे पूरा होने में समय लगेगा। दूसरा, संरचनात्मक व्यापार समझौता है जिसका उद्देश्य भारतीय निर्यात पर लगे कुल 50 प्रतिशत शुल्क बोझ को कम करना है।
उन्होंने कहा कि लगभग आधा दर्जन दौर की वार्ता हो चुकी है और अब बहुत कम मुद्दे बचे हैं, जिनमें से कुछ पर राजनीतिक स्तर पर अंतिम निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है। अक्टूबर में वाशिंगटन में अनौपचारिक दौर के बाद अब अमेरिकी अधिकारियों की टीम आगे की बातचीत के लिए नई दिल्ली आ सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि जवाबी शुल्क और समझौते में देरी के बावजूद भारत का अमेरिका को निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 10 अरब डॉलर बढ़ा है, जो उद्योग के विविधीकरण प्रयासों को दर्शाता है। इस बीच अक्टूबर में देश का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर 41.68 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। सोने का आयात तीन गुना बढ़ने और निर्यात में 11.8 प्रतिशत की गिरावट ने स्थिति को और चुनौतीपूर्ण बना दिया है। अक्टूबर में भारत का कुल आयात 16.64 प्रतिशत बढ़कर 76.06 अरब डॉलर पर पहुंचा, जबकि निर्यात घटकर 34.38 अरब डॉलर रह गया।
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