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India को अपनी तेज रफ्तार आगे भी कायम रखने की जरूरत : बंगा

India को अपनी तेज रफ्तार आगे भी कायम रखने की जरूरत : बंगा

वाशिंगटन। केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सशक्त बनाने के भारत के प्रयासों और ग्लोबल साउथ की चिंताओं पर चर्चा की। भारतीय-अमेरिकी बंगा, जो तीसरी जी 20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में भाग लेने के लिए गुजरात के गांधीनगर में हैं, ने जयशंकर से मुलाकात की और बड़े विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत के प्रयासों के बारे में बात की।


दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया, वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष बंगा से मिलकर खुशी हुई। हमने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करने, क्षेत्रीय समृद्धि को बढ़ावा देने और बड़े विकास को आगे बढ़ाने के भारत के प्रयासों पर चर्चा की। इसके पहले बंगा ने कहा कि वे आर्थिक रूप से भारत को लेकर आज अधिक आशावादी हैं और बुनियादी ढांचे के डिजिटलीकरण की दिशा में सरकार की पहल भी सराहनीय है। उन्होंने आईएमएफ और विश्व बैंक की भविष्यवाणियों का भी जिक्र करते हुए बताया कि दुनिया एक या दो साल के लिए थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो जाएगी और जोर देकर कहा कि पूर्वानुमान नियति नहीं है। बंगा ने कहा कि डिजिटलीकरण ने लोगों के लिए सेवाओं तक पहुंच आसान बना दी है और वह इसके बड़े प्रशंसक हैं। भारत ने पिछले 15-20 वर्षों में जो किया है, वह बुनियादी ढांचे का डिजिटलीकरण है। उन्होंने कहा, मैं लंबे समय की तुलना में आज समग्र रूप से आर्थिक रूप से भारत को लेकर अधिक आशावादी हूं।


बंगा ने कहा कि भारत कोरोना महामारी के समय पैदा हुई चुनौतियों से मजबूत बनकर उभरा है, लेकिन भारत को यह रफ्तार आगे भी कायम रखने की जरूरत है। बंगा ने कहा, ‘‘भारत वैश्विक स्तर पर कायम सुस्ती के बीच काफी कुछ ऐसा कर रहा है जो उसे आगे रखने में मदद कर रहा है। बंगा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर सुस्ती होने के बावजूद अपने घरेलू खपत की वजह से सुरक्षित है। उच्च आय वाली नौकरियों में संभावित वृद्धि के बारे में पूछने पर बंगा ने कहा, ‘‘हमें यह समझना होगा कि ये नौकरियां कहां पर हैं। ये नौकरियां प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हैं और बहुत कम संख्या में हैं। फिर विनिर्माण क्षेत्र में ऐसी नौकरियां हैं। भारत के सामने फिलहाल यह मौका है कि वह ‘चीन प्लस वन रणनीति का फायदा उठाए। चीन प्लस वन रणनीति का मतलब है कि दुनिया के विकसित देशों की कंपनियां अब अपने विनिर्माण केंद्र के तौर पर चीन के साथ किसी अन्य देश को भी जोड़ना चाहती हैं। इसके लिए भारत भी एक संभावित दावेदार के तौर पर उभरकर सामने आया है।


बंगा ने कहा, ‘‘भारत को यह भी ध्यान रखना होगा कि चीन प्लस वन रणनीति से मिलने वाला अवसर उसके लिए 10 वर्षों तक नहीं खुला रहेगा। यह तीन से लेकर पांच साल तक उपलब्ध रहने वाला अवसर है, जिसमें आपूर्ति शृंखला को अन्य देश में ले जाने या चीन के साथ अन्य देश को जोड़ने की जरूरत है।

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