
कभी बेशुमार दौलात.....आज बिकने को तैयार Kishore Biyani की कंपनी
मुंबई। पहले किशोर बियानी ने मुंबई के मॉल को बेचा था, लेकिन अब कंपनी बंद होने जा रही है। दरअसल नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई शाखा ने फ्यूचर रिटेल को परिसमापन के लिए स्वीकार कर लिया है। भारी कर्ज में डूबे फ्यूचर ग्रुप के चेयरमैन किशोर बियानी की आर्थिक हालात खराब है। कभी बियानी के पास बेशुमार दौलत थी, लेकिन अब हालत ऐसी है कि कंपनी बिकने जा रही है। परिसमापन एक दिवालियापन प्रक्रिया है, जिसका उपयोग किसी सीमित कंपनी को बंद करने के लिए होता है। यह प्रक्रिया तब शुरू होती है, जब कंपनी के फिर से खड़े होने की संभावना नहीं दिखाती है। रिपोर्ट के अनुसार, संजय गुप्ता को कंपनी का परिसमापक नियुक्त किया गया है। एनसीएलटी ने कंपनी के समाधान पेशेवर विजयकुमार वी अय्यर के आवेदन को स्वीकार किया है।
पीठ ने पाया कि कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) की अधिकतम अवधि समाप्त हो चुकी है और अभी तक लेनदारों की समिति (सीओसी) द्वारा कोई समाधान योजना स्वीकृत नहीं की गई है। खुदरा विक्रेता पर 28,452 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां हैं, जिनमें वित्तीय लेनदारों का 14,422 करोड़ रुपये का दावा भी शामिल है। एनसीएलटी ने आदेश में कहा कि हमारा मानना है कि यह परिसमापन के लिए उपयुक्त है, लेकिन कॉरपोरेट देनदार को एक चालू व्यवसाय के रूप में बेचने का प्रयास करना चाहिए।
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