private sector की सुस्त प्रतिक्रिया, कपड़ा क्षेत्र का पीएलआई में होगा बदलाव
- श्रम आधारित कपड़ा क्षेत्र में निवेश और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा
नई दिल्ली। कपड़ा क्षेत्र के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों की सुस्त प्रतिक्रिया की वजह से सरकार इसमें ज्यादा लचीलापन लाकर आकर्षक बनाने पर जोर दे रही है। इससे श्रम आधारित कपड़ा क्षेत्र में निवेश और विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा। कपड़ा मंत्रालय ने इस योजना के तहत और उत्पादों को शामिल करने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी मांगी है। कपड़ा क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना को दो साल पहले लाया गया था, जिसका उद्देश्य मानव निर्मित परिधान और तकनीकी टेक्सटाइल के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना है। इसके लिए 10,683 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। मानव निर्मित कपड़े में विस्कस, पॉलिएस्टर, एक्रिलिक शामिल हैं, जिसे रसायनों से बनाया जाता है। निर्यातक मानते हैं कि इस समय देश के कुल परिधान निर्यात में मानव निर्मित कपड़ों के परिधानों की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है। तकनीकी टेक्सटाइल में नए जमाने के कपड़े शामिल हैं, जिसका उपयोग पीपीई किट, एयरबैग, बुलेटप्रूफ जैकेट के उत्पादन में किया जा सकता है।
साथ ही इसका उपयोग विमानन, रक्षा एवं बुनियादी ढांचा क्षेत्र में भी किया जा सकता है। जानकारों के मुताबिक मानव निर्मित कपड़ों के एचएसएन कोड के दायरे में ज्यादा से ज्यादा श्रेणियों को शामिल करने के लिए पीएलआई योजना में अधिक लचीलापन प्रदान करने के मकसद से कैबिनेट प्रस्ताव जारी किया गया है। एचएसएन कोड में ज्यादा लचीलापन लाने के प्रस्ताव का निर्णय इसलिए किया गया है, क्योंकि कपड़ा उद्योग में फैशन तथा कपड़ों की मांग तेजी से बदलती रहती है। इसलिए प्रोत्साहन को चुनिंदा कपड़ा श्रेणियों तक सीमित रखना समझादारी नहीं है।
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