आजीवन वर्दी में रहेंगे सबसे शक्तिशाली Asim Munir, कभी नहीं होगी गिरफ्तारी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को औपचारिक रूप से देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (सीडीएफ) नियुक्त कर दिया गया है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सिफारिश पर उनकी इस पद पर पांच वर्ष के लिए नियुक्ति को मंजूरी दे दी। इस नियुक्ति के साथ ही पुराना पद चेयरमैन जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमिटी (सीजेसीएससी) हमेशा के लिए खत्म हो गया। नया पद पिछले महीने संसद में पारित कानून के तहत बनाया गया था, जिसका उद्देश्य थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच बेहतर समन्वय बताया गया है। इससे अब उनकी कभी गिरफ्तारी नहीं होगी ओर आजीवन वर्दी में ही रहेंगे। जनरल मुनीर अब एक साथ तीन भूमिकाएं निभा रहे हैं, सेना प्रमुख (सीओएएस), फील्ड मार्शल और चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस। पाकिस्तानी इतिहास में फील्ड मार्शल का रैंक सिर्फ दूसरी बार दिया गया है, पहली बार 1959 में जनरल अयूब खान को मिला था। नए कानून के तहत सीडीएफ को तीनों सेनाओं पर सीधा कमान, राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में निर्णायक अधिकार, आजीवन वर्दी पहनने की छूट और किसी भी अदालती कार्रवाई या गिरफ्तारी से पूर्ण प्रतिरक्षा प्राप्त है। इस नियुक्ति से पाकिस्तान में सेना का वर्चस्व और मजबूत हो गया है। देश के 77 साल के इतिहास में करीब आधे समय तक प्रत्यक्ष सैन्य शासन रहा है और वर्तमान व्यवस्था में भी सेना की छिपी ताकत सर्वविदित है।
सीडीएफ पद के जरिए अब यह ताकत औपचारिक और कानूनी रूप से नागरिक सरकार से ऊपर स्थापित हो गई है। विपक्ष, खासकर जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने इसे लोकतंत्र का अंत और एक व्यक्ति की तानाशाही करार दिया है। भारत के साथ तनाव के मौजूदा माहौल में जनरल मुनीर की बढ़ती शक्ति को इस्लामाबाद की आक्रामक नीति का संकेत माना जा रहा है। मई 2025 में भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी सेना ने जिस तरह झूठा प्रचार चलाया था, उसकी अगुवाई भी जनरल मुनीर ने ही की थी। अब सीडीएफ के रूप में परमाणु कमान चेन में भी उनका स्थान सबसे ऊपर होगा। विश्लेषकों का कहना है कि यह नया ढांचा प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय की भूमिका को और सीमित कर देगा। जनरल आसिम मुनीर आज पाकिस्तान के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं, जिनके पास सैन्य और सुरक्षा मामलों में असीमित अधिकार हैं। आने वाला समय बताएगा कि यह बदलाव वाकई तीनों सेनाओं में समन्वय लाता है या सिर्फ एक व्यक्ति की ताकत को स्थायी बनाने का जरिया है। फिलहाल पाकिस्तान की सत्ता और सुरक्षा व्यवस्था में सेना का वर्चस्व पहले कभी इतना स्पष्ट और मजबूत नहीं रहा।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!