
Japan में बच्चों की किलकारी सुनने को तरस रहे लोग, जन्मदर में आई भारी गिरावट
नौकरी, महंगाई के चलते युवा नहीं कर रहे शादी, बूढ़ा हो राह देश
टोक्यो। जापान में बच्चों की किलकारी अब कम सुनाई दे रही है। जन्म दर में 5.7 फीसदी की गिरावट आई है। 2024 में देश में पैदा हुए नवजात शिशुओं की संख्या महज 6.86 लाख रही जो 1899 से अब तक का सबसे निचला स्तर है। ये आंकड़े जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जारी किए हैं। जापान में गिरती जन्म दर विकसित देश के लिए किसी ‘मौन आपातकाल’ से कम नहीं है जैसा कि जापानी प्रधानमंत्री ने खुद कहा है। बता दें जापान के पीएम अब ग्रामीण इलाकों में खासतौर से महिलाओं को काम और परिवार के बीच बेहतर संतुलन बनाए रखने के लिए लचीली कार्यनीति लाने की बात कर रहे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में जापान में 27 लाख बच्चे पैदा हुए थे। आज उससे एक चौथाई भी नहीं है। सरकार की चिंता जायज है, क्योंकि जैसे-जैसे देश बूढ़ा होता जा रहा है, उसकी आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर पड़ना तय है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जापान की नीतियां आज भी मुख्यतः शादीशुदा जोड़ों पर केंद्रित हैं, जबकि असली समस्या उन युवाओं में है जो शादी ही नहीं करना चाहते। इसकी वजहें है नौकरी की अनिश्चितता, महंगाई, और लैंगिक भेदभाव वाला कॉर्पोरेट माहौल, जहां कामकाजी महिलाओं पर दोहरी जिम्मेदारी आ जाती है।
कई जापानी महिलाएं यह भी कहती हैं कि शादी के लिए पति का सरनेम अपनाने का कानूनी दबाव उनके फैसले को और मुश्किल बनाता है। जापान में कानून के तहत विवाह के लिए पति-पत्नी को एक ही उपनाम रखना होता है। 2024 में जापान की प्रजनन दर गिरकर 1.15 पर पहुंच गई यानी औसतन एक महिला अपने जीवनकाल में सिर्फ 1.15 बच्चों को जन्म दे रही है। यह आंकड़ा देश की आबादी में गिरावट का संकेत है। 124 मिलियन की मौजूदा जनसंख्या 2070 तक 87 मिलियन हो सकती है, जिनमें से 40 फीसदी से ज्यादा लोग 65 साल से ऊपर होंगे। सिर्फ जापान ही नहीं, दक्षिण कोरिया, चीन और अब वियतनाम जैसे देशों में भी जन्म दर गिर रही है। वियतनाम ने तो इस हफ्ते दो बच्चों की सीमा तय करने वाला दशकों पुराना कानून भी हटा दिया गया है ताकि गिरती जनसंख्या पर रोक लगाई जा सके।
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