
Pakista में सरकार बनाने से बड़ी चुनौती होगी सरकार चलाना
सिर पर कर्ज का इतना बोझा कि आईएमएफ तक ने लगाई झाड़, आर्थिक संकट मंडराया
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इस समय सरकार बनाने से बड़ी चुनौती तो सरकार चलाने की हो रही है। यहां इस समय नई सरकार बनाने को लेकर जोड़तोड़ जारी है। उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही पाकिस्तान में पीएमएलएन और पीपीपी के गठबंधन वाली सरकार बन जाएगी। बताया जा रहा है कि देश एक भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। नई सरकार के सामने महंगाई से पार पाने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती है। अब पाकिस्तान की निगाहें अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की तरफ हैं। आईएमएफ से पाकिस्तान को मदद जरूर मिली है लेकिन इसे अपर्याप्त बताया जा रहा है। जानकारी के अनुसार आईएमएफ की ओर से पाकिस्तान को जारी 3 अरब डॉलर की मदद का कार्यक्रम अगले महीने खत्म हो रहा है। अब नई सरकार के सामने एक नया और बड़ा कार्यक्रम हासिल करना प्राथमिकता के रूप में देखा जा रहा है। पाकिस्तान में बीते साल अगस्त से कार्यवाहक सरकार आईएमएफ ऋण कार्यक्रम लागू कर रही है। जुलाई में इस कर्ज को मंजूरी मिली थी, जिसने पाकिस्तान को ऋण डिफॉल्ट होने से बचने में मदद की। अब पाकिस्तान में एक नई सरकार जल्दी ही वजूद में आने जा रही है तो उसके सामने भी ये चुनौती है।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 8 अरब डॉलर है जो बमुश्किल दो महीने के आयात को ही कवर करता है। हालांकि यह एक साल पहले के मुकाबले बेहतर है, एक साल पहले ये 3.1 अरब डॉलर ही रह गया था। दो महीने के समय में 1 बिलियन का बांड भुगतान पाक को भरना है, जो विदेशी मुद्रा भंडार को और कम कर देगा। इस सबमें आईएमएफ से मंजूर 700 मिलियन डॉलर की राशि बड़ी राहत दे रही है लेकिन ये नाकाफी है। इस मामले में पूर्व डिप्टी सेंट्रल बैंक गवर्नर मुर्तजा सैयद का कहना है कि देश को आईएमएफ के किसी अन्य कार्यक्रम में शामिल होना अनिवार्य है क्योंकि उसका विदेशी मुद्रा भंडार विदेशी ऋण की तुलना में बेहद कम है। पाकिस्तान का ऋण-से-जीडीपी अनुपात पहले से ही 70 प्रतिशत से ऊपर है।
इधर आईएमएफ और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि इस ऋण पर ब्याज भुगतान में ही सरकार के राजस्व का 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत हिस्सा चला जाएगा। यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था का सबसे खराब अनुपात है। जानकार बता रहे हैं कि देश की समस्या मुख्य रूप से घरेलू ऋण है, जिसमें लगभग 60 प्रतिशत ऋण स्टॉक और 85 प्रतिशत ब्याज का बोझ शामिल है। पाकिस्तान का विदेशी ऋण स्टॉक भी द्विपक्षीय और बहुपक्षीय ऋणदाताओं की ओर भारी रूप से झुका हुआ है, जो कुल का लगभग 85 प्रतिशत है। बॉन्डेड कर्ज में बाहरी कर्ज स्टॉक का केवल 8 प्रतिशत और कुल सार्वजनिक ऋण का 3.4 प्रतिशत शामिल है। यह चीन के कुल कर्ज का लगभग 13 प्रतिशत है, यही वजह है कि अब पाकिस्तान की बिगड़ती आर्थिक हालात की मार सीधे आम लोगों पर पड़ रही है।
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