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  • Wednesday, 03 December 2025
सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए : PM Modi

सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए : PM Modi

नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया। सत्र की शुरुआत लोकसभा में अभिनेता और पूर्व सांसद धर्मेंद्र को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई। इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से संवाद करते हुए स्पष्ट संदेश दिया कि संसद में नीति पर गंभीर और रचनात्मक चर्चा होनी चाहिए, न कि हंगामा या प्रदर्शन। उन्होंने कहा कि संसद देश की आशाओं और अपेक्षाओं का केंद्र है, इसलिए यहां ड्रामा नहीं बल्कि परिणाम व प्रभावी काम होना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष समेत सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि वे सत्र को सुचारू, गरिमापूर्ण और सार्थक बनाने में सहयोग दें। उन्होंने कहा कि नारेबाजी और शोर-शराबे की राजनीति से देश का भला नहीं होता, बल्कि सकारात्मक बहस और ठोस नीतिगत फैसलों से आगे बढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा, “सदन में ड्रामा नहीं, डिलीवरी होनी चाहिए। नारे नहीं, नीति पर जोर देना चाहिए और इसके लिए नीयत भी होनी चाहिए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में हुए चुनाव परिणामों को लेकर कुछ राजनीतिक दल अभी भी निराशा से उबर नहीं पाए हैं, लेकिन संसद इस निराशा को व्यक्त करने का स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि “सत्र किसी पक्ष की पराजय की बौखलाहट का मैदान नहीं बनना चाहिए और न ही किसी की जीत के अहंकार का मंच होना चाहिए।” उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि नकारात्मकता और विरोध के नाम पर हंगामा करने से लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होती है और देश के विकास की गति प्रभावित होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में युवा सांसदों को अधिक अवसर देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी की सोच, ऊर्जा और दृष्टिकोण से संसद को दिशा मिलने की क्षमता है। युवा सदस्य यदि सक्रियता से सहभागिता करें तो देशहित में महत्वपूर्ण विचार और सुझाव सामने आ सकते हैं, जो आने वाले समय में राष्ट्र निर्माण में भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि संसद कार्य करने की जगह है, प्रदर्शन का मंच नहीं। “हमें जिम्मेदारी की भावना के साथ काम करना होगा और जनता की उम्मीदों को पूरा करना होगा,” उन्होंने कहा। अपनी अपील को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी दल देशहित को सर्वोपरि रखें और इस सत्र को उत्पादक, संतुलित और सकारात्मक बनाने में सहयोग दें। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सत्र जनहित से जुड़े फैसलों के लिए यादगार बनेगा और लोकतंत्र को मजबूत करने का अवसर देगा।

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