Ukrain ने 34 रूसी अधिकारियों को मारने का दावा किया
ब्लैक सी नेवल हेडक्वार्टर पर 12 हमले किए, 4 रूसी तोपखानों को भी नुकसान
कीव। यूक्रेन ने 22 सितंबर को क्रीमिया में रूस के ब्लैक सी नेवल हेडक्वार्टर पर हमला किया था। अब यूक्रेन की स्पेशल फोर्स ने दावा किया है कि इस हमले में रूस के ब्लैक सी बेड़े के कमांडर एडमिरल विक्टर सोकोलोव सहित 34 अधिकारियों की मौत हुई थी। हालांकि, इस मामले में अभी रूस के तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
यूक्रेन की स्पेशल फोर्स ने कहा- रूस के नेवल हेडक्वार्टर पर यूक्रेनी मिसाइल के हमले में करीब 105 लोग घायल हुए। बिल्डिंग की इतनी बुरी हालत है कि इसे दोबारा खड़ा नहीं किया जा सकता। हमले के बाद रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि उनका एक अधिकारी लापता है। वहीं उन्होंने दावा किया था कि रूसी एयर डिफेंस ने 5 मिसाइलों को मार गिराया है।
हथियारों के जखीरे को निशाना बनाया
अल जजीरा के मुताबिक, यूक्रेन की मिलिट्री ने बताया कि एयरफोर्स ने ब्लैक सी में रूस की नेवी के हेडक्वार्टर पर कुल 12 हमले किए गए थे। इसमें हेडक्वार्टर सहित अधिकारियों, हथियारों के जखीरे और दूसरे मिलिट्री इक्विपमेंट को निशाना बनाया गया था। हमले में 2 एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम और 4 रूसी तोपखाने भी प्रभावित हुए हैं। यूक्रेन के हमले के बाद शुक्रवार को इसका वीडियो भी सामने आया था। इसमें एक मिसाइल रूसी नौसेना के ब्लैक सी फ्लीट हेडक्वार्टर पर गिरती दिख रही थी। इसके बाद इमारत में आग लग गई थी।
रूस ने 2014 में किया था क्रीमिया पर कब्जा
अगर यूक्रेन के दावे सही हैं, तो 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के बाद ये यूक्रेन की तरफ से इस क्षेत्र में किए गए सबसे बड़े हमलों में से एक होगा। दरअसल, यूक्रेन साल 1991 में आजाद हुआ था। क्रीमिया हमेशा से यूक्रेन का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक सोवियत नेता ने तोहफे के तौर पर इसे यूक्रेन को सौंपा था। क्रीमिया में 65 प्रतिशत लोग रूसी मूल के हैं, जबकि 15 फीसदी यूक्रेनी मूल के लोगों की है। साल 2010 में यूक्रेन ने रूस के साथ समझौता किया, जिसके तहत रूसी सेना के बेड़े को 25 साल तक क्रीमिया में रहने की इजाजत दी गई। इसके बदले रूस ने गैस की कीमतें 30 फीसदी कम कर दीं। मार्च 2014 में क्रीमिया में रूसी शासन के पक्ष में 96 प्रतिशत मतदान हुआ था। यूक्रेन छोडक़र रूस का हिस्सा बनने के लिए क्रीमिया में जनमत संग्रह की तैयारी के साथ यूक्रेन में शीतयुद्ध जैसा सुरक्षा संकट बढ़ गया है। इसके तुरंत बाद रूसी सेना और रूस समर्थक हथियारबंद फौज ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने क्रीमिया में हुए जनमत संग्रह को अमान्य घोषित कर दिया था।
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