Dark Mode
  • Saturday, 06 December 2025
क्यों और कैसे झुक गई Shahbaz government और कैसे मुनीर बन गए ‘सुपर पावर’

क्यों और कैसे झुक गई Shahbaz government और कैसे मुनीर बन गए ‘सुपर पावर’

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की सियासत में चल रही लंबी खींचतान, सौदेबाजी और सत्ता संघर्ष का अंत आखिरकार उसी दिशा में गया, जिसकी लंबे समय से चर्चा थी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंततः सेना के दबदबे के आगे झुकते हुए जनरल आसिम मुनीर की ‘सुपर पावर’ नियुक्ति पर अपनी मुहर लगा दी। राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने भी इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए पाकिस्तान की सत्ता संरचना में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत कर दी है। अब इस पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर शहबाज सरकार मुनीर के सामने झुक कैसे गई और ऐसा क्या दांव चला गया कि मुनीर सीडीएफ भी बन गए। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद फील्ड मार्शल जनरल आसिम मुनीर न केवल पाकिस्तान के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) बने रहेंगे, बल्कि वे देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (सीडीएफ) भी बन गए हैं। इस तरह पाकिस्तान के तीनों सेनाओं यानी थल, जल और वायु सेना की कमान अब एक ही अधिकारी के हाथों में होगी। यह नियुक्ति पाकिस्तान के संविधान में किए गए 27वें संशोधन के बाद संभव हुई है, जिसने सेना प्रमुख के अधिकार अभूतपूर्व रूप से बढ़ा दिए हैं। कई हफ्तों की सौदेबाजी का नतीजा इस फाइल पर हस्ताक्षर में हुई देरी महज तकनीकी नहीं थी। इस्लामाबाद के सत्ता गलियारों में पिछले कई हफ्तों से तनाव और खामोशी का दौर चल रहा था। सूत्रों के अनुसार, यह देरी शहबाज सरकार, नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम नवाज, और सेना प्रमुख आसिम मुनीर के बीच गहन ‘गिव एंड टेक’ पर चली बातचीत का नतीजा थी। पीएमएल-एन नेतृत्व, खासकर नवाज शरीफ, इस पावरफुल नियुक्ति के बदले में राजनीतिक सुरक्षा चाहते थे। नवाज, जो चौथी बार प्रधानमंत्री बनने के अपने सपने को पूरा होते देख रहे हैं, चाहते थे कि भविष्य में सेना उनका रास्ता न रोके। एक वरिष्ठ पीएमएल-एन सूत्र के अनुसार, यदि मुनीर अगले पांच साल सीडीएफ और सीओएएस बने रहना चाहते हैं, तो उन्हें नवाज शरीफ की सत्ता में वापसी सुनिश्चित करनी होगी। सरकार के पास कोई विकल्प नहीं रहा?

सूत्रों का कहना है कि नवाज ने भविष्य की सेना नियुक्तियों में भी अपनी राय को महत्व देने की शर्त रखी थी। अंततः शहबाज सरकार ने प्रस्ताव को मंजूरी दी, जो यह दर्शाता है कि या तो सेना ने सभी राजनीतिक आश्वासन दे दिए, या सरकार के पास मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। वायुसेना को साधने की कोशिश तनावपूर्ण माहौल के बीच राष्ट्रपति ज़रदारी ने एयर चीफ मार्शल जहीर अहमद बाबर सिद्धू के कार्यकाल में दो साल का विस्तार भी मंजूर किया। इसे आसिम मुनीर द्वारा सभी बलों को साथ लेकर चलने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। पाकिस्तान के भविष्य पर गहरा प्रभाव आसिम मुनीर के हाथों में सीओएएस, सीडीएफ और फील्ड मार्शल जैसे रैंक का एक साथ आना पाकिस्तान में सत्ता के अभूतपूर्व केंद्रीकरण की ओर इशारा करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नियुक्ति पाकिस्तान के ‘हाइब्रिड शासन मॉडल’ को और मजबूत करती है, जिसमें सरकार दिखती है लेकिन असली ताकत सेना के पास होती है। शहबाज सरकार द्वारा मुनीर को यह सुपर पावर देना इस बात की खुली स्वीकारोक्ति है कि पाकिस्तान में असली ‘किंगमेकर’ कौन है। नवाज शरीफ को सत्ता में वापसी के लिए जिस तरह सेना के सामने झुकना पड़ा, उसने एक बार फिर पाकिस्तान की असैन्य सरकार की मजबूरी उजागर कर दी है।

Comment / Reply From

You May Also Like

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!