ताकतवर हो रही बलूच लिबरेशन आर्मी, क्या Pakistan के हाथ से निकल जाएगा बलूचिस्तान प्रांत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंसा की घटनाओं में तेजी देखी गई है। पाकिस्तानी सेना से विद्रोही गुट बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) का लगातार टकराव हो रहा है। हाल ही में बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने और नोशकी में सैन्य काफिले पर अटैक की घटना ने पाकिस्तान और बलूच विद्रोह के बीच गहराते मतभेदों को उजागर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक जाफर एक्सप्रेस की घटना से पाकिस्तान और बलूच विद्रोहियों में तनाव बढ़ गया है। पाकिस्तानी सरकार बीएलए को आतंकवादी गुट कहती है। पाकिस्तान की शाहबाज सरकार ने बीएलए की मांगों को सिरे से खारिज किया है। दूसरी ओर बीएलए ने हालिया हमलों से साबित कर दिया है कि उसकी ताकत बढ़ी है। इससे पाकिस्तान का बलूचिस्तान पर नियंत्रण कमजोर हो रहा है। इससे साफ है कि आने वाले समय में बलूचिस्तान मे संघर्ष और तेज होगा। रिपोर्ट बताती है कि जाफर एक्सप्रेस पर हमला अचानक नहीं हुआ। यह एक योजनाबद्ध अभियान के तहत हुआ। बीएलए ने ट्रेन में मौजूद पाक सेना के लोगों को निशाना बनाकर बलूच राजनीतिक कैदियों को रिहा करने की मांग की। हालांकि पाकिस्तान ने बातचीत करने से इंकार कर दिया। इस पूरे मामले में पाकिस्तानी सेना और बीएलए की ओर से किए गए दावों में भी फर्क है। पाक सेना ने 30 से कम, वहीं बीएलए 200 से ज्यादा मौतों का दावा किया है। जाफर ट्रेन पर हमले के बाद क्वेटा में बड़ी संख्या में सैन्य ताबूतों को देखा गया। इसके बाद सवाल उठा कि अगर मौतों की संख्या 30 से कम है, तब सैकड़ों की तादाद में ताबूत क्यों लाए गए थे। इससे लगता है कि पाकिस्तान अपनी हार को स्वीकार नहीं करना चाहता है।
ये भी एक सच है कि पाक सेना ने हमेशा बलूचिस्तान में अपनी हार को छुपाने की कोशिश की है। जाफर एक्सप्रेस पर हमले से पैदा शर्मिंदगी को भी पाक सेना कबूल करती नहीं दिख रही है। 2020 में बीएलए समूह ने कराची स्टॉक एक्सचेंज पर हमला किया। इसके बाद बीएलए ने नुशकी और पांजगुर में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर बड़े हमले किए। बीते साल यानी 2024 में बीएलए ने बड़े पैमाने पर हमले शुरू कर दिए थे। इसमें खासतौर से सैन्य काफिले, अर्धसैनिक ठिकानों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमले शामिल हैं। पाकिस्तान ने बीएलए की मांगों पर विचार करके स्थिति को शांत करने के मौके हमेशा खोए हैं। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान अगर बीएलए से बात नहीं करता है, तब बलूचिस्तान में संघर्ष और बढ़ जाएगा। वहीं अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बलूचिस्तान पर ज्यादातर समय चुप्पी साधे रखी है। इससे पाकिस्तान को बिना किसी जवाबदेही के यहां अपने सैन्य अभियान जारी रखने का मौका मिल जाता है। हालांकि जाफर एक्सप्रेस पर हमले ने पाकिस्तान के साथ ही दुनिया को स्पष्ट संदेश भेजा है कि बलूच प्रतिरोध कमजोर नहीं हुआ बल्कि यह मजबूत हो रहा है।
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