Climate change ने दुनियाभर के शहरों को भीषण गर्मी में धकेला
-आने वाले दशकों में शहरी तापमान 2 से 7 डिग्री तक बढ़ने की आशंका
लंदन। जलवायु परिवर्तन की रफ्तार ने दुनिया भर के शहरों को अभूतपूर्व गर्मी में धकेल दिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दशकों में शहरी तापमान 2 डि्गी से 7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने की आशंका है। अर्बन हीट आइलैंड प्रभाव के कारण कॉन्क्रीट और भीड़भाड़ वाले इलाकों में गर्मी और ज्यादा असहनीय हो सकती है। इसका सबसे ज्यादा असर गरीब, बच्चे, बुजुर्ग और खुले में काम करने वाले लोगों पर पड़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि बढ़ती गर्मी के चलते श्रमिक उत्पादकता में भारी गिरावट दर्ज की जाएगी। 1995 से 2030 के बीच गर्मी के कारण 3.75 मिलियन फुल-टाइम नौकरी के बराबर कामकाजी घंटे खो चुके हैं, जो 2030 तक बढ़कर 8.1 मिलियन के स्तर तक जा सकते हैं। इसके चलते वैश्विक आर्थिक नुकसान करीब 498 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली, टोक्यो, बीजिंग, करांची, ढाका और जकार्ता जैसे बड़े शहरों में अगले वर्षों में भीषण गर्मी, स्वास्थ्य संकट, पानी की कमी और कूलिंग उपकरणों की बढ़ी मांग देखने को मिलेगी। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हीटवेव के कारण हीटस्ट्रोक के मामले वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ रहे हैं। 2000–2021 के बीच 65 साल से जयादा आयु के लोगों में गर्मी से होने वाली मौतों में 85फीसदी तक वृद्धि दर्ज की गई है। केवल यूरोप में 2022 की गर्मियों में 61,000 से ज्यादा अतिरिक्त मौतें दर्ज की गई।
क्लाइमेट विशेषज्ञ बताते हैं कि 2008 से 2019 के बीच भारत के दस प्रमुख शहरों में हर साल औसतन 1,116 लोगों की जान हीटवेव से गई। उनका कहना है कि बढ़ती गर्मी से निपटने तुरंत राहत उपायों और दीर्घकालिक शहरी योजना दोनों जरूरी हैं। शहरों में ग्रीन कवर बढ़ाना, जलाशयों को संरक्षित करना और कंक्रीट के उपयोग को घटाना जरुरी कदम हैं। कृषि पर भी गर्मी का प्रभाव दिख रहा है। वैज्ञानिक कम पानी और गर्मी झेलने वाली फसलों की प्रजातियां विकसित करने में जुटे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे कृत्रिम झीलों और अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है। आने वाले समय में नदियों के जलप्रवाह और मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ सकती है। विशेषज्ञ ने चेतावनी दी हैं कि हीटवेव को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। अत्यधिक तापमान शरीर के अंगों को क्षति पहुंचा सकता है और समय पर मदद न मिले तो जीवन खतरे में पड़ सकता है। बढ़ती गर्मी की चुनौती से निपटने के लिए समाज और सरकार दोनों को अभी से तैयारी करनी होगी।
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