
America दबाव के बावजूद भारत का साहसिक कदम, चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान भेजी मानवीय मदद
काबुल। भूकंप से अफगानिस्तान में हुई तबाही और प्रभावित लोगों के लिए भारत ने बड़ी मानवीय मदद भेजी है। दवाओं और जरूरी सामग्रियों से भरे तीन कंटेनर चाबहार पोर्ट के जरिए अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पहुंचे, जहां भारतीय अधिकारियों ने इन्हें अफगान प्रशासन को सौंपा। यह मदद संकट की घड़ी में भारत की संवेदनशीलता और मानवीय प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारत ने मदद पहुंचाने का यह कदम ऐसे समय उठाया है जबकि अमेरिका ने ईरान के चाबहार पोर्ट के संचालन पर प्रतिबंध की घोषणा की हुई है। ट्रंप प्रशासन ने भारत को चेतावनी भी दी थी, लेकिन नई दिल्ली ने अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करते हुए चाबहार का इस्तेमाल किया। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत-अमेरिका रिश्तों में नया तनाव पैदा कर सकता है। भारत की मदद में क्या-क्या शामिल? विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस खेप में दवाइयों के अलावा खाद्य सामग्री, वाटर प्यूरीफायर, प्रोटीन पाउडर, स्लीपिंग बैग, कंबल, स्वच्छता किट, टेंट, जनरेटर सेट और टिन की चादरें शामिल हैं। यह सहायता पैकेज हालिया भूकंप से प्रभावित अफगान जनता के लिए तैयार किया गया। भारत इससे पहले भी अफगानिस्तान को मदद पहुंचा चुका है। इस महीने की शुरुआत में 21 टन राहत सामग्री हवाई मार्ग से भेजी गई थी। तब उस खेप में टेंट, कंबल, चिकित्सा किट और बिजली जनरेटर थे। अब समुद्री मार्ग से भेजी गई यह खेप भारत की सहायता अभियान के विस्तार को दिखाती है।
रणनीतिक संदेश भी साफ भारत का यह कदम केवल मानवीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। चाबहार पोर्ट भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से जोड़ने वाला एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग देता है, जो पाकिस्तान को दरकिनार करता है। लंबे समय से नई दिल्ली के क्षेत्रीय संपर्क लक्ष्यों में यह पोर्ट केंद्रीय भूमिका निभाता आ रहा है। अमेरिकी छूट का अंत और भारत का इरादा गौरतलब है कि 2018 में अमेरिका ने भारत को चाबहार के उपयोग की छूट दी थी ताकि मानवीय और व्यापारिक मदद अफगानिस्तान तक पहुंच सके। लेकिन हाल में यह छूट वापस ले ली गई। इसके बावजूद भारत ने अपनी शिपमेंट बढ़ाई है, जिससे दो संदेश स्पष्ट हैं, पहला यह कि अफगानिस्तान की मदद करना भारत की प्राथमिकता है। और दूसरा यह कि चाबहार कॉरिडोर को जीवित रखना भारत के रणनीतिक हित में है। कुल मिलाकर, भारत का यह कदम अमेरिकी दबाव के आगे न झुकने और अफगान जनता के साथ खड़े रहने का प्रतीक है। यह फैसला आने वाले दिनों में भारत-अमेरिका संबंधों की परीक्षा भी बन सकता है।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!