मध्य प्रदेश ओबीसी आरक्षण के मामले मे अभी तक मध्य प्रदेश सरकार सो रही है क्या: Supreme Court
दिल्ली/ ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय कोर कमेटी सदस्य धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा एडवोकेट प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आज मध्य प्रदेश में 27% ओबीसी आरक्षण के मामले पर सुनवाई हुई मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा वर्ष 2019 में 14% ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27% किया गया जिस पर मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा अध्यादेश लाया गया जिस पर एक पीजी छात्र के द्वारा एडमिशन को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की गई माननीय न्यायालय द्वारा सरकार द्वारा ले गए अध्यादेश पर रोक लगा दी गई उसके आधार पर सरकार के द्वारा महाधिवक्ता के अभिमत मांगा गया जिसमें महाधिवक्ता के द्वारा अध्यादेश पर माननीय न्यायालय रोक लगाई जाने का मत देते हुए 13% ओबीसी आरक्षण होल्ड किया जाने मत दिया इसके आधार पर सरकार के द्वारा समान विषय विभाग द्वारा एक सर्कुलर जारी करते हुए सभी विभागों में 13 परसेंट ओबीसी आरक्षण होल्ड किया गया जिसको देखते हुए दिनांक 22.9.2022 को पत्र के आधार पर ओबीसी के अभ्यर्थियों एवं ओबीसी महासभा के द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में आज का प्रस्तुत की गई जिसकी सुनवाई आज कोर्ट नंबर 06 माननीय जस्टिस नरसिंहम की न्यायालय के हुई। ओबीसी महासभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सांगवी, अनूप जॉर्ज चौधरी, वरुण ठाकुर धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा रामकरण राघव उपस्थित हुए एडवोकेट अभिषेक मनु सांगवी द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष तर्क रखे गए कि जिस प्रकार से छत्तीसगढ़ राज्य में अग्रिम आदेश पर 27 प्रश्न आरक्षण को लागू किया गया इस प्रकार से मध्य प्रदेश में भी लागू किया जाए क्योंकि आज दिनांक तक कानून पर किसी प्रकार की रोक नहीं है जो सरकार के द्वारा समान प्रशासन विभाग द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया है वह पूर्ण रूप से गैर संविधानिक है यदि सरकार की सही मंशा है तो उसे नोटिफिकेशन को वापस ले ले जिससे कि 13% ओबीसी अभ्यर्थी है उनकी नियुक्तियां हो सके। बाद में विरोधी अधिवक्ता द्वारा यह बताया गया कि की मध्य प्रदेश की ओबीसी आरक्षण के मामले में लगभग 70 या ट्रांसफर याचिका लंबित है साथी ही तमाम एसएलपीब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है ऐसी दशा में सभी को एक साथ जोड़ा जाए न्यायालय में हमारे द्वारा कहा गया कि लगभग 6 साल से 13 परसेंट ओबीसी अभ्यर्थी अपनी नियुक्ति को लेकर काफी परेशान हो रहे हैं जिसमें कई छात्र आत्महत्या मानसिक तनाव तथा तमाम सारी परिस्थितियों के साथ जूझ रहा है ऐसी दशा में इन छात्रों को नियुक्ति दिलाई जाए।
माननीय न्यायालय द्वारा अपने आदेश को डिक्टेट कराया गया उसके बाद एक उदासीन सरकार का रवैया देखने को मिला कि सरकार अपने वकीलों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन जब सनी पूर्ण हो जाती है उसके बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एडवोकेट उपस्थित होते हैं और उनके द्वारा मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अपना तर्क रखा गया कि हमारी सरकार को काफी एंपलॉयर की आवश्यकता है जिसके कारण यह है रोक लगी है इस रोक को हटाया जाए।माननीय न्यायालय द्वारा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि की 6 साल से आप क्या सो रहे थे क्या इतने मामले गंभीर होने पर तभी याद आती है।ओबीसी महासभा को सरकार पर किसी भी प्रकार का भरोसा नहीं है क्योंकि जिस प्रकार से न्यायालय में उदासीनता रवैया देखने को मिला इससे स्पष्ट दिखाई देता है कि मध्य सरकार ओबीसी विरोधी है वह किसी भी प्रकार से ओबीसी का हित नहीं चाहती।सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल श्री तुषार मेहता एडवोकेट, नटराजन एडवोकेट ,मध्य प्रदेश महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह, अतिरिक्त महाधिवक्ता धीरेंद्र सिंह आदि लोग उपस्थित थे। न्यायालय द्वारा सभी मामलों को लेकर अगली सुनवाई 23 सितंबर निर्धारित की गई है।
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