सउदी की योजना से बेखबर Pakistan, डिफेंस डील पर कर रहा उछल-कूद
रियाद। सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच 17 सितंबर 2025 को रियाद में स्ट्रेटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट हुआ। डील से खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। मगर क्या वे सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की गहरी चाल को समझ पाए हैं? भले पाकिस्तान मन ही मन खुश हो, मगर इसमें उसका फायदा कम और सऊदी अरब का फायदा ज्यादा नजर आ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है पाकिस्तान का परमाणु संपन्न देश होना। जानकारों का मानना है कि यह डिफेंस डील सऊदी अरब के लिए ‘न्यूक्लियर अम्ब्रेला’ का काम करेगी। पाकिस्तान के पास करीब 170 न्यूक्लियर वारहेड्स यानी परमाणु हथियार हैं। अगर फ्यूचर में कभी सऊदी अरब पर हमला होता है तो इस स्थिति में पाकिस्तान को भी जंग में सऊदी की ओर से कूदना होगा। ऐसे में पाकिस्तान की न्यूक्लियर थ्रेट सऊदी अरब की सालों साल रक्षा कर सकती है। उधर, पाकिस्तान के शहबाज शरीफ को यह डील आर्थिक राहत लग रही है। यह सच है कि सऊदी पाकिस्तान की पैसों से खूब मदद करता है। मगर उसने इसकी इस डील से कीमत वसूल ली। सऊदी के लिए पाकिस्तान न्यूक्लियर अंब्रेला सेफ्टी फीचर की तरह काम करेगा।
सऊदी ने पहले भी पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद दी है। लेकिन क्या शहबाज शरीभ सऊदी की चाल समझ पाए? भले ही पाकिस्तान को सऊदी का पैसों से समर्थन मिलता रहेगा, मगर बदले में उसने परोक्ष रूप से न्यूक्लियर पावर तो हासिल कर ही ली। सऊदी आर्थिक रूप से बहुत मजबूत है। वह तेल का बड़ा निर्यातक है। उसके पास तेल के खान ही खान है। इसके दम पर उसकी तूती बोलती है। मगर सैन्य लिहाज से सऊदी कमजोर देश है। इसलिए सऊदी अरब के प्रिंस सलमान ने दिमाग लगाया और पैसों से तंग पाकिस्तान को अपना डिफेंस पार्टनर बनाया। सऊदी का असल मकसद न्यूक्लियर बैलेंस ही है। बहरहाल, पाकिस्तान और सऊदी अरब की इस डील से भारत को कोई नुकसान नहीं पहुंचने वाला है। सऊदी का भारत से बढ़िया रिश्ता रहा है। खुद भारत सरकार ने कहा है कि उसे इस डील की पहले से जानकारी थी। पाकिस्तान इस्लामी दुनिया का एकमात्र न्यूक्लियर पावर वाला देश है। इस डील के तहत पाकिस्तान अब सऊदी को हथियारों की आपूर्ति और ट्रेनिंग देगा। मगर असली खेल न्यूक्लियर डोमेन में है। सऊदी लंबे समय से परमाणु क्षमता की चाहत रखता है। सऊदी की ईरान से भी नहीं बनती और न तो इजरायल से। ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम से केवल पश्चिमी देश ही नहीं, बल्कि सऊदी के प्रिंस सलमान भी डरे हुए हैं। यही कारण है कि सऊदी ने इस डील के तहत पाकिस्तान को अपना साझेदार बनाया है।
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