
आर्थिक तंगी से जूझ रहा Pakistan, अब रिटायरमेंट घटाने पर कर रहा काम
इस्लामाबाद। पाकिस्तान ने अपनी कमजोर होती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कई कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत, शहबाज शरीफ सरकार अब सेवानिवृत्ति की आयु को 60 से घटाकर 55 साल करने पर विचार कर रही है। सरकार का उद्देश्य पेंशन बिल के भारी बोझ को कम करना और वित्तीय स्थिति को स्थिर करना है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के उन सुझावों में शामिल है, जो पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज की मंजूरी के लिए दिए गए थे। दिलचस्प बात यह है कि यह प्रस्ताव सरकार के एक साल पुराने सुझाव के विपरीत है, जिसमें पेंशन देनदारियों के दबाव को देखते हुए सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाकर 62 साल करने की बात कही गई थी। आईएमएफ ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था और दीर्घकालिक पेंशन सुधारों पर जोर दिया था। पाकिस्तान की कैबिनेट की आर्थिक समन्वय समिति (ईसीसी) ने हाल ही में पेंशन योजना में सुधार की दिशा में देरी पर चिंता व्यक्त की।
समिति ने सुझाव दिया कि यदि सेवानिवृत्ति की आयु पांच साल कम की जाती है, तो सरकार के पेंशन दायित्वों में हर साल करीब 50 अरब पाकिस्तानी रुपए की कमी हो सकती है। विशेषज्ञों ने इस योजना की व्यवहार्यता पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि प्रारंभिक सेवानिवृत्ति पैकेजों के कारण प्रारंभिक खर्च में वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का संघीय पेंशन बिल वर्तमान में एक ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपए से ज्यादा है। इसमें से 260 अरब रुपए नागरिकों के पेंशन पर और 750 अरब रुपए सशस्त्र बलों के पेंशन पर खर्च हो रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि सरकार को न केवल पेंशन प्रणाली में बदलाव करना चाहिए, बल्कि व्यापक आर्थिक सुधारों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
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