पाक सेना की कार्रवाई के खिलाफ विदेश में प्रदर्शन, दक्षिण कोरिया में Balochistan का दर्द गूंजा
सियोल। पाकिस्तान की सेना के खिलाफ अब विरोध की आवाजें देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सुनाई देने लगी हैं। दरअसल दक्षिण कोरिया के शहर बुसान में सोमवार को सैकड़ों लोगों ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। यह विरोध ठीक एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन से पहले हुआ, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप सहित कई वैश्विक नेता शामिल थे। ऐसे समय में यह प्रदर्शन पाकिस्तान के लिए बड़ी शर्मिंदगी बन गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बलूच नेशनल मूवमेंट (बीएनएम) के कार्यकर्ताओं ने बुसान की सड़कों पर बलूचिस्तान के लिए न्याय, जेहरी की घेराबंदी खत्म करो और बलूच नरसंहार बंद करो जैसे नारे लगाए। उन्होंने स्थानीय लोगों के बीच अंग्रेजी और कोरियाई भाषा में पर्चे बांटकर बताया कि बलूचिस्तान के जेहरी क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना ने किस तरह की तबाही मचाई है। इन पर्चों में आरोप लगाया गया कि सेना लोगों को घरों से उठाती है, फिर उन्हें लापता कर देती है या मार देती है। प्रदर्शनकारियों ने कहा, जेहरी खून से लथपथ है और अब दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए। विरोध के दौरान बीएनएम कार्यकर्ताओं ने टूटे घरों और पीड़ित परिवारों की तस्वीरें भी प्रदर्शित कीं। संगठन के अनुसार, हालिया हवाई हमलों में 10 बच्चों समेत 20 से अधिक नागरिक मारे गए हैं, जबकि 50 से ज्यादा युवकों को जबरन गायब कर दिया गया है।
आरोप यह भी लगाया गया कि पाकिस्तानी सेना ने अस्पतालों को सैन्य ठिकानों में बदल दिया है और इलाके में 24 घंटे का कर्फ्यू लगा रखा है। पाकिस्तानी सेना के खिलाफ यह विरोध केवल दक्षिण कोरिया तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पिछले सप्ताह नीदरलैंड के उट्रेच में भी इसी तरह का प्रदर्शन हुआ था। इस प्रदर्शन के दौरान मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई को “युद्ध अपराध” करार दिया। वहीं, अमेरिका में व्हाइट हाउस के बाहर भी बीएनएम ने प्रदर्शन कर पाकिस्तान को आतंकवादी राज्य बताया। संगठन ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान बलूचिस्तान और अन्य इलाकों के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रहा है। इसी के साथ ही बीएनएम ने एमनेस्टी इंटरनेशनल और संयुक्त राष्ट्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। एपेक सम्मेलन के दौरान हुए इस विरोध ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख पर एक और गहरा धब्बा लगा दिया है, क्योंकि अब वैश्विक समुदाय उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड पर गंभीर सवाल उठा रहा है।
Tags
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!