Bangladesh में तख्तापलट में शेख हसीना के खास ने किया खेल
वाकर ने हसीना को सत्ता से बेदखल करने, इस्लामी ताकतों के साथ गठजोड़ किया
ढाका। बांग्लादेश की राजनीति में इन दिनों तख्तापलट की अफवाहों के बीच एक किताब ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। किताब में दावा किया गया है कि पूर्व पीएम शेख हसीना को उनके ही रिश्तेदार और मौजूदा सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने ‘सीआईए के इशारे पर’ धोखा दिया और सत्ता से बेदखल कर दिया। यह खुलासा किताब ‘इंशाअल्लाह बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन’ में किया गया है, जिसे दीप हालदार, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकोन ने लिखी है और जगरनॉट पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है। किताब में पूर्व गृह मंत्री असदुज़्ज़मान खान कमाल के हवाले से दावा किया गया है कि शेख हसीना का तख्तापलट ‘एक परफेक्ट सीआईए प्लान’ था। किताब में असदुज़्ज़मान के हवाले से लिखा है कि हमें पता ही नहीं चला कि सीआईए ने वाकर को अपने जाल में फंसा लिया है। हमारी इंटेलिजेंस एजेंसियां भी हसीना को सचेत नहीं कर पाईं कि सेना प्रमुख ने उनके खिलाफ साजिश रच दी। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका का मकसद दक्षिण एशिया में मजबूत नेताओं- मोदी, शी जिनपिंग और हसीना को कमजोर करना था ताकि अमेरिकी हित सुरक्षित रहें। किताब में एक और चौंकाने वाला दावा किया गया है। इसमें कहा गया कि इस साजिश के पीछे ‘सेंट मार्टिन द्वीप’ की भू-राजनीतिक अहमियत भी एक बड़ा कारण थी। यह द्वीप बंगाल की खाड़ी में म्यांमार सीमा के पास है और सामरिक दृष्टि से बहुत अहम माना जाता है। हसीना ने सत्ता खोने से पहले आरोप लगाया था कि ‘अगर वह यह द्वीप अमेरिका को सौंप दें, तो उनकी सरकार बच सकती है, लेकिन यह देश की संप्रभुता के साथ समझौता होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक किताब में कहा गया है कि जनरल वाकर ने हसीना के खिलाफ कट्टरपंथी संगठनों और जमात-ए-इस्लामी से हाथ मिलाया था। असदुज़्ज़मान ने कहा कि जैसे महाभारत में अभिमन्यु को अपने ही लोगों ने घेरकर मारा, वैसे ही वाकर ने हसीना को गिराने के लिए इस्लामी ताकतों के साथ गठजोड़ किया। लेखकों के मुताबिक यह बातचीत दिल्ली के एक होटल में हुई थी, जहां आवामी लीग के दो पूर्व सांसद भी मौजूद थे। किताब में लिखा है कि वाकर-उज-जमान ने जून 2024 में सेना प्रमुख का पद संभाला और 5 अगस्त को हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया। पूर्व गृह मंत्री के मुताबिक यह जनरल का ‘पहला सीक्रेट मिशन’ था, उसी नेता को गिराना, जिसने उसे सेना प्रमुख बनाया था। दूसरी ओर यह किताब ऐसे समय में आई है जब बांग्लादेश में सेना की भूमिका को लेकर भी विवाद गहराया है। 11 अक्टूबर को मीडिया में रिपोर्ट आई कि सेना ने अपने 15 अधिकारियों को हिरासत में लिया, जो हसीना शासन के दौरान विपक्षियों के गायब होने में शामिल थे। बढ़ते असंतोष के चलते वाकर को अपना सऊदी अरब दौरा रद्द करना पड़ा था। किताब में खान के हवाले से बताया कि पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई लंबे समय से जमात-ए-इस्लामी के साथ काम कर रही थी। कुछ आईएसआई-प्रशिक्षित लोग जमात की पंक्तियों में घुसपैठ कर चुके थे, जिन्होंने जून के आखिरी हफ्ते में पुलिसकर्मियों की हत्या में अहम भूमिका निभाई थी। जब हालात बिगड़ने लगे, तो गृह मंत्री के तौर पर खान को पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आईएसआई के लोग छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच शामिल हो गए हैं। वह तुरंत पीएम हसीना के पास पहुंचे, लेकिन वहां उन्हें बताया गया कि ‘सेना प्रमुख ने भरोसा दिया है कि वह स्थिति को संभाल लेंगे। यहां तक कि सेना प्रमुख जो हसीना के रिश्तेदार भी हैं उन्होंने पीएम की मौजूदगी में कहा कि ‘फौज हालात पर काबू पा लेगी। खान ने उस बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने पीएम हसीना से कहा था कि पुलिस ढाका के हर एंट्री पॉइंट पर तैनात रहेगी ताकि बाहर से कोई भी भीड़ शहर में न आ सके। वाकर ने वहीं कहा कि जनता का पुलिस पर भरोसा खत्म हो चुका है और अब सेना को ही प्रदर्शनकारियों को रोकना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मैंने पेशकश की थी कि मेरे पुलिसकर्मी गणभवन की सुरक्षा करेंगे, लेकिन वाकर ने कहा इसकी जरूरत नहीं है, सेना यह तय करेगी कि कोई भी पीएम आवास के करीब न पहुंचे। हसीना ने उस शाम वाकर पर भरोसा किया… और फिर अगले दिन क्या हुआ, सब जानते हैं।
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