South China Sea दुनिया का अगला बड़ा टकराहट का मैदान बन रहा
-10 से ज्यादा देशों ने पिछले कुछ दिनों में कई आर्मी डील साइन की
बीजिंग। इंडो-पैसिफिक अब शांति का नहीं, टेंशन का हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। साउथ चाइना सी, जहां कभी सिर्फ मछली पकड़ने और व्यापारिक जहाजों की आवाजाही होती थी, आज वही इलाका दुनिया की अगली बड़ी टकराहट का मैदान बनता जा रहा है। वजह साफ है, 10 से ज्यादा देशों ने पिछले कुछ दिनों में एक के बाद एक ऐसी आर्मी डील साइन की है, जो सीधे तौर पर चीन की बढ़ती दादागिरी को चुनौती देती है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल, तैयारी तो चीन को घेरने की है, लेकिन प्लान किसका है? फिलीपींस और कनाडा ने रविवार एक बड़ी आर्मी समझौता किया। स्टेट ऑफ विजिटंग फोर्सेस एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों की सेनाएं अब एक-दूसरे के इलाके में जाकर ट्रेनिंग और ऑपरेशन कर सकेंगी यानी कनाडा की फौज पहली बार इंडो-पैसिफिक में एक्टिव होगी। फिलीपींस के रक्षा मंत्री गिल्बर्टो टिओडोरो ने साफ कहा कि यह समझौता सिर्फ ट्रेनिंग का नहीं, बल्कि रूल्स-बेस्ड इंटरनेशनल ऑर्डर को बचाने का है। सीधे शब्दों में अब चीन को चुनौती देने में फिलीपींस अकेला नहीं है। सिर्फ फिलीपींस-कनाडा नहीं, बीते दो साल में कम से कम 10 देशों ने ऐसे समझौते किए हैं जिनका मकसद समुद्र में चीन की दादागीरी रोकना है। इनमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा, भारत, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस शामिल हैं। यह कनाडा की इंडो-पैसिफिक में पहली बड़ी डिफेंस डील है। दोनों देशों की सेनाएं अब एक-दूसरे के इलाके में जाकर अभ्यास करेंगी। यह डील खासकर चीन के खिलाफ सामरिक सहयोग को मजबूत करने के लिए मानी जाती है। अमेरिका और फिलीपींस ने अपने रक्षा सहयोग को और मज़बूत करने के लिए एक नए टास्क फोर्स-फिलीपींस के गठन का ऐलान किया है। इस टास्क फोर्स का मकसद साउथ चाइना सी में मिलकर मिलिट्री कोऑपरेशन बढ़ाना है।
दोनों देशों ने हाल ही में चार नए बेस पर अमेरिकी सैनिकों की तैनाती की मंजूरी दी है, जो सीधे ताइवान के पास हैं। फिलीपींस ने स्वीडन के साथ मिलकर एक एग्रीमेंट किया है। इसका मकसद समंदर में ट्रेड रूट को सिक्योरिटी देना है, लेकिन असल मकसद चीन को घेरना है। दोनों देशों ने रेसिप्रोकल एक्सेस एग्रीमेंट किया है। जापान का एशिया में किसी देश के साथ यह पहला एग्रीमेंट है। इससे दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास और आपदा राहत मिशन में साथ काम कर सकेंगी। फिलीपींस और ऑस्ट्रेलिया पहले से ही विजिटिंग फोर्स एग्रीमेंट के तहत सहयोगी हैं। हाल ही में दोनों ने अमेरिका और जापान के साथ साउथ चाइना सी में युद्धाभ्यास किया था। चीन ने इसे शांति और स्थिरता को खतरा बताया। साउथ चाइना सी को चीन अपना बताता है। इस इलाके से हर साल करीब पांच ट्रिलियन डॉलर का व्यापार गुजरता है, यानी दुनिया की अर्थव्यवस्था की धड़कन यही है। फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इसके अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं। 2016 में अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने चीन के दावे को अवैध करार दिया था, लेकिन बीजिंग ने फैसला ठुकरा दिया। तब से लेकर अब तक चीनी कोस्ट गार्ड और फिलीपींस की नौसेना के बीच कई बार टकराव हो चुका है।
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