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  • Tuesday, 02 September 2025
Haiti पर भुखमरी का संकट: जून तक आधी से अधिक आबादी गंभीर खतरे में होने की आशंका

Haiti पर भुखमरी का संकट: जून तक आधी से अधिक आबादी गंभीर खतरे में होने की आशंका

गाजा। हैती एक गहरे मानवीय संकट की ओर बढ़ रहा है, जहां देश की आधी से अधिक आबादी जून 2025 तक गंभीर भुखमरी की चपेट में आ सकती है। संयुक्त राष्ट्र समर्थित संस्था एकीकृत खाद्य सुरक्षा चरण वर्गीकरण (आईपीसी) की ताजा रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार लगातार गिरती अर्थव्यवस्था, सुरक्षा की गंभीर स्थिति, और सशस्त्र गिरोहों के बीच बढ़ती हिंसा इस आपात स्थिति के मुख्य कारण हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में लगभग 57 लाख हैतीवासी गंभीर खाद्य असुरक्षा की स्थिति में हैं। इसके अलावा, 8,400 लोग ऐसे अस्थायी आश्रयों में रह रहे हैं, जहां भुखमरी का खतरा और भी अधिक है। पहले इन शरणस्थलों में भोजन और पेयजल की आपूर्ति नियमित रूप से की जाती थी, लेकिन अमेरिका की ओर से विदेशी सहायता अनुबंधों में 90% तक की कटौती के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। रिपोर्ट बताती है कि अगस्त 2024 से फरवरी 2025 तक करीब 9.77 लाख लोगों को मासिक खाद्य सहायता मिली, लेकिन उनमें से अधिकतर को आधा राशन ही मिल पाया।

इससे यह साफ होता है कि हालात तेजी से गंभीर हो रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय सहायता की सख्त जरूरत है। इस बीच यूनिसेफ ने भी चिंता जताई है कि देश में करीब 28.5 लाख बच्चे भुखमरी का सामना कर रहे हैं, जो हैती के भविष्य के लिए एक गहरी चेतावनी है। भुखमरी के प्रमुख कारण सशस्त्र गिरोहों का नियंत्रण: राजधानी पोर्ट-औ-प्रिंस समेत कई क्षेत्रों में हथियारबंद गिरोहों का बोलबाला है, जिससे सामान्य जीवन ठप हो गया है। राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार: लंबे समय से चली आ रही सरकारों की असफलताएं और प्रशासनिक ढांचे की कमजोरियां स्थिति को और जटिल बना रही हैं। आर्थिक पतन: मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के उच्च स्तर ने आम जनता की क्रय शक्ति को समाप्त कर दिया है। विदेशी सहायता में कटौती: अमेरिका सहित अन्य देशों से आने वाली सहायता में भारी गिरावट के कारण राहत प्रयास सीमित हो गए हैं। हैती में भुखमरी एक मानवीय त्रासदी का रूप ले चुकी है, जिसे टालने के लिए तुरंत और ठोस अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। अगर हालात पर जल्द काबू नहीं पाया गया, तो यह संकट लाखों लोगों की जान के लिए खतरा बन सकता है, खासकर उन बच्चों के लिए, जो पहले से ही कुपोषण की मार झेल रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संगठनों को अब निर्णायक कदम उठाने होंगे ताकि हैती को इस भीषण मानवीय आपदा से उबारा जा सके।

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