
Trump जो भी कर रहे हैं इसके ठीक विपरीत है अमेरिकी आत्मा की आवाज
वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिका की राजनीति में अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश कर रहे हैं, तब यही सवाल उठता है कि क्या ट्रंप ने उस आत्मा की आवाज सुननी बंद कर दी है? क्योंकि वे दोस्तों को ही दुश्मन समझने लगे हैं। यूरोपीय देशों पर ताबड़तोड़ टैरिफ लगा रहे हैं, इजरायल से दूरी बना रहे हैं तो भारत जैसे मुल्कों से उन्हें परेशानी होने लगी है। ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का एक पुराना भाषण सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें रोनाल्ड रीगन कह रहे, ‘अमेरिका की शक्ति उसकी आत्मा में है, उसके आदर्शों में है। अमेरिका खून, नस्ल या सीमाओं से नहीं, बल्कि एक विचार से बना है। ये विचार दुनिया भर से आने वालों को अपनाने का था, न कि उन्हें रोकने का। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में यह भी दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध से रोका। उन्होंने कहा कि यह परमाणु युद्ध बन सकता था, लेकिन उन्होंने दोनों देशों से कहा कि व्यापार ज्यादा अच्छा विकल्प है। यह सुनने में आकर्षक लगता है, लेकिन क्या इसमें आत्मीयता है या सिर्फ सौदेबाजी? विदेश मंत्री एस जयशंकर साफ कह चुके हैं कि हमें सौदेबाजी करने वालों की जरूरत नहीं है। हमें सहयोगी चाहिए। सोशल मीडिया में लोग कह रहे कि डोनाल्ड ट्रंप को याद रखना होगा कि रिश्ते हथियारों से नहीं, आत्मा से बनते हैं।
अगर अमेरिका को सच में महान बनाना है, तो उसे अपनी आत्मा से फिर से जुड़ना होगा। वरना उसके सबसे करीबी दोस्त भी एक दिन सवाल पूछने लगेंगे: क्या यह वही अमेरिका है, जिसे हमने अपना साथी माना था? रीगन ने कहा था कि अमेरिका की पहचान खून या सरहदों से नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा राष्ट्र है जो दुनिया भर से आने वाले हर व्यक्ति को अपनाता है। लेकिन ट्रंप के दौर में ‘इमिग्रेंट’ शब्द हथियार बन गया। अमेरिका के दरवाजे जो कभी सपनों की तलाश में आने वालों के लिए खुले थे, अब दीवारों से घिरे नजर आते हैं। रीगन अमेरिका को एक ऐसे देश के रूप में देखते थे, जिसमें विविधता थी, साझेदारी थी और सबको साथ लेकर चलने, वक्त पर मदद करने की बात थी। लेकिन आज, ट्रंप के दौर में जब ‘इमिग्रेंट’ एक खतरे की तरह प्रस्तुत किया जाता है, तो सवाल है कि क्या यह वही अमेरिका है?भारत और अमेरिका के रिश्ते आज रणनीतिक ऊंचाइयों पर हैं। रक्षा सौदों से लेकर तकनीक साझा करने तक, दोनों देशों के बीच की निकटता अभूतपूर्व है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की केमिस्ट्री को भी कई बार सुर्खियां मिलीं।
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