पूरी टीम Hotel लौटती थी, मैं इंजेक्शन लगवाने हॉस्पिटल जाता था
- वर्ल्ड कप के बाद मोहम्मद शमी ने किया भयंकर दर्द से जूझने का बड़ा खुलासा
नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी ने खुलासा किया है कि वर्ल्ड कप के दौरान वे भयंकर दर्द से जूझ रहे थे। बावजूद इसके उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बता दें कि वर्ल्ड कप के शुरुआती चार मैच से बाहर रहने के बावजूद सात मुकाबलों में 24 विकेट चटकाने वाले शमी 2015 वर्ल्ड कप में इंजेक्शन लगवाकर खेलते थे। करियर दाव पर लगाकर मैच के बाद हॉस्पिटल जाते अपना इलाज करवाते और फिर अगले मैच के लिए तैयार होते। ये खुलासा खुद 33 वर्षीय पेसर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में किया। दरअसल, बीते रविवार अहमदाबाद में भारत पर छह विकेट की जीत के साथ कंगारुओं ने छठी बार वर्ल्ड कप ट्रॉफी जीती। 240 रन का बचाव करने उतरी भारतीय टीम के लिए मोहम्मद शमी ने अपनी पहली ही बॉल पर डेविड वार्नर को आउट कर ऑस्ट्रेलिया को करारा झटका दिया, लेकिन इसके बावजूद वह टीम को फाइनल नहीं जीता सके। टूर्नामेंट में उन्होंने तीन बार पांच विकेट भी शामिल झटके। बता दें कि साल 2015 के बाद से शमी का सफर किसी फिल्मी स्किप्ट की तरह ही लगता है। स्पोर्ट्स ब्रांड पुमा के ब्रांड एंबेसडर शमी ने वर्ल्ड कप के बाद बेंगलुरु में दिए एक इंटरव्यू में दिल खोलकर बातचीत की। शमी ने कहा, कोई नहीं जानता था कि मैं किस दर्द से जूझ रहा था 2015 टूर्नामेंट से पहले मेरे घुटने में सूजन थी।
मेरे पास दर्द सहन करने की क्षमता है और मुझे दो विकल्प बताए गए थे या सर्जरी करवाऊं या फिर टूर्नामेंट खेलूं। टीम हर मैच के बाद होटल लौटती थी, मैं इंजेक्शन लेने के लिए अस्पताल जाता था। जब आप देश के लिए खेलते हैं तो आप सब कुछ भूल जाते हैं। 2015 वर्ल्ड कप के बाद हुई सर्जरी से तो शमी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। शमी की कमबैक जरनी प्रेरणादायक रही है। वह न केवल वर्ल्ड कप के 18 मैचों में 55 विकेट लेकर दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट टूर्नामेंट में देश के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए बल्कि सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ 7-57 का बेस्ट बॉलिंग फिगर निकालकर इतिहास भी रचा। 33 वर्षीय शमी ने अपनी सफलता का राज खोलते हुए बताया कि, आम तौर पर गेंदबाज मैदान पर पहुंचने के बाद पिच का मुआयना करता है। मैं कभी भी विकेट के करीब नहीं जाता क्योंकि आपको तभी पता चलेगा कि यह कैसा व्यवहार करता है जब आप उस पर गेंदबाजी करेंगे। फिर दबाव क्यों लें? इसे सरल रखना ज्यादा फायदेमंद है।
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