चिंता की बात.....लड़कों से ज्यादा लड़कियां पी रहीं Cigarettes And Beedis
नई दिल्ली। सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है... सिगरेट के पैकेटों पर वैधानिक चेतावनी लिखी होने के बावजूद युवाओं में इसकी लत बढ़ती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की नई रिपोर्ट बताती है कि एक दशक में भारत में सिगरेट-बीड़ी पीने वाले कम उम्र के लड़के और लड़कियों की संख्या बढ़ी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देशभर में तंबाकू का सेवन करने वालों की कमी आई है, लेकिन सिगरेट या बीड़ी की खपत बढ़ गई है। चिंता की बात ये हैं कि अब कम उम्र की लड़कियों में सिगरेट-बीड़ी पीने की लत तेजी से बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट बताती है कि 2009 से 2019 के बीच यानी 10 साल में स्मोकिंग करने वाली लड़कियों की संख्या दोगुनी हो गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2009 में देश में 2.4 प्रतिशत लड़कियां स्मोकिंग करती थीं। जबकि, 2019 में ये बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई। यानी, इन 10 सालों में स्मोकिंग करने वाली लड़कियों की संख्या 3.8 प्रतिशत बढ़ गई। इस तरह 2009 में 5.8 प्रतिशत लड़के स्मोकिंग करते थे।
2019 में इनकी संख्या बढ़कर 8.1 प्रतिशत हो गई। यानी, 10 साल में स्मोकिंग करने वाले लड़के 2.3 प्रतिशत बढ़ गए। रिपोर्ट से पता चलता है कि नई पीढ़ी को स्मोकिंग की लत ज्यादा तेजी से लग रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में 1.5 प्रतिशत वयस्क महिलाएं ऐसी थीं, जो स्मोकिंग करती थीं। जबकि, 2019 में 6.2 प्रतिशत लड़कियों की स्मोकिंग करने की बात सामने आई है। इस बारे में एक महिला जानकार ने बताया कि नई पीढ़ी सिगरेट पीने को कूल समझती है। लड़कों से बराबरी करने और उनकी तरह ही कूल दिखने के लिए आजकल लड़कियां भी सिगरेट पीने लगीं हैं। जानकारों का मानना है कि आजकल फिल्मों में महिला अभिनेत्रियों को सिगरेट पीते दिखाया जाता है, यह देखकर भी लड़कियों में स्मोकिंग की लत बढ़ रही है।
बीते कई सालों में ई-सिगरेट का चलन भी भारत में काफी तेजी से बढ़ा है। आम सिगरेट की तुलना में इनके कम हानिकारक होने का दावा किया जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, भारत में लगभग 27 करोड़ लोग हैं, जो किसी न किसी तंबाकू उत्पाद का सेवन करते हैं। भारत में तंबाकू से हर साल साढ़े 13 लाख मौतें भी होती हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में स्मोकिंग करने वालों में प्रीमैच्योर डेथ का खतरा 31 प्रतिशत से 55 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के 2019 में हुए ग्लोबल यूथ टोबैको सर्वे के मुताबिक, 2009 में भारत की 8.1 प्रतिशत आबादी स्मोकिंग करती थी, जो 2019 में घटकर 7.1 प्रतिशत हो गई। इस तरह 2009 में लगभग 15 फीसदी आबादी किसी न किसी तंबाकू उत्पाद का सेवन करती थी, जिनकी संख्या भी 2019 में घटकर 9 फीसदी पर आ गई।
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