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  • Sunday, 02 November 2025
Adani Group ने मोदी सरकार से चीन के इंजीनियरों के लिए वीजा मांगा

Adani Group ने मोदी सरकार से चीन के इंजीनियरों के लिए वीजा मांगा

नई दिल्ली। अडानी समूह के सौर विनिर्माण कारोबार ने चीन से करीब 30 इंजीनियरों को लाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार से मंजूरी मांगी है। अडानी समूह के लिए ये इंजीनियर सौर उपकरणों की दमदार और स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद कर सकते हैं। कंपनी ने अपनी प्रस्तुतियों में आठ विदेशी साझेदारों का उल्लेख किया है। ये सभी चीन के हैं और मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) तथा आपूर्ति श्रृंखला विक्रेता हैं। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021-22 में 591 करोड़ रुपए के और वित्त वर्ष 2022-23 में 180 करोड़ रुपए के चीनी उपकरणों का आयात किया है। अडानी सोलर की सौर विनिर्माण इकाई मुंद्रा सोलर टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एमएसटीएल) ने साल 2027 तक 10 गीगावॉट की एकीकृत सौर विनिर्माण क्षमता निर्माण का लक्ष्य रखा है। मोदी सरकार को दी गई कंपनी की सूचना के अनुसार यह कारखाना गुजरात के कच्छ में 25,114 करोड़ रुपए के निवेश से लगाया जा रहा है। मुंद्रा सोलर केंद्र सरकार की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत भी पात्र है। पीएलआई योजना के तहत यह चार गीगावॉट सौर मॉड्यूल विनिर्माण लगाएगी।

इसका इंगट, वेफर और सेल (सौर मॉड्यूल/पैनल हिस्से) विनिर्माण पीएलआई में शामिल नहीं हैं। फरवरी में अडानी सोलर ने अपनी सौर विनिर्माण इकाई में काम पर रखे जाने वाले 15 चीनी नागरिकों के लिए वीजा मांगा था। मार्च में समूह ने 13 और चीनी नागरिकों के लिए वीजा का अनुरोध किया। ये इंजीनियर अडानी सोलर के चीनी सौर आपूर्ति श्रृंखला के विक्रेताओं के साथ काम कर हैं। विदेशी विक्रेताओं और अधिकारियों के लिए मंजूरी की मांग करते हुए सौर पीएलआई के लिए नोडल मंत्रालय- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) को दिए अपने आवेदन में कंपनी ने अपने सौर कारोबार को मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा बताया है। अडानी सोलर की ओर से सूचीबद्ध आठ चीनी विक्रेता सिलिकॉन सेल, फोटोइलेक्ट्रिक उपकरण, वेफर विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और सौर उपकरण आपूर्ति श्रृंखला के लिए जरूरी ऐसी ही उपकरणों के निर्माण में लगे हुए हैं। इन फर्मों के इंजीनियर उत्पाद इकाइयां लगाने, मौजूदा इकाइयों में उत्पादन बढ़ाने और भारतीय कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में अडानी की मदद करेंगे। भारत में उनके रहने की अवधि छह महीने से एक वर्ष तक की है। चीनी इंजीनियरों को वीजा मंजूरी के लिए कंपनी ने तर्क दिया है कि ऐसी सौर इकाई लगाने के लिए भारत में विशेषज्ञता की कमी है।

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