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Coronary आर्टरी डिजीज हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण

Coronary आर्टरी डिजीज हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण

लंदन। हैल्थ विशेषज्ञों का मानना है कि जब हार्ट में खून का प्रवाह कम हो जाए या खून आए ही न तो इस अवस्था को हार्ट अटैक कहते हैं। यह तब होता है जब खून की ओर जाने वाला रास्ता यानी धमनियां किसी कारणवश संकरी हो जाए या पतली हो जाए या इसमें किसी तरह बाधा हो जाए तो भी हार्ट की तरफ खून कम पहुंचेगा या पहुंचेगा ही नहीं। इसमें मुख्य रूप से कोरोनरी आर्टरीज में फैट जमा हो जाता है। इस फैट को कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। यह धमनियों में चिपकती रहती है। जो चीजें चिपकती हैं उसे प्लैक कहते हैं और मेडिकल भाषा में इसे एथेरोस्क्लेरोसिस कहा जाता है। कभी-कभी यह प्लैक खुद ही फट जाता है जिससे खून ब्लॉक हो जाता है। जब हार्ट में कम खून पहुंचेगा तो हार्ट के मसल्स डैमेज होने लगेंगे। जानकारों का कहना है कि कोरोनरी आर्टरी डिजीज हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण है। जब कोरोनरी आर्टरीज में फैट डिपॉजिशन होने लगता है तब उसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो खून की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमावड़ा हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण है। इसमें कई कारणों से हार्ट अटैक आ सकता है। जब कोलेस्ट्रॉल थोड़ा बहुत जमा होने लगे और वह धमनियों के आधे रास्ते में चिपकने लगे तो इससे खून का बहाव कम होगा। कभी-कभी प्लैक फट जाता है जिससे खून का थक्का बन जाता है और खून का हार्ट तक जाने से रोक देता है। वहीं कभी-कभी इतना अधिक फैट बन जाता है कि वह पूरी तरह से खून के बहाव को आगे जाने से रोक देता है। कभी-कभी खून की नलियों किसी कारणवश सिकुड़ जाती है, इससे भी हार्ट अटैक हो सकता है। कुछ इंफेक्शन की स्थिति में हार्ट के मसल्स डैमेज हो जाते हैं। वहीं कभी-कभी दुर्घटना की स्थिति में ब्लड वैसल्स फट जाता है। जानकारों का कहना है कि कोलेस्ट्रॉल के कई कारण है।इसमें हमारा लाइफस्टाइल और खान-पान सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। जब हम गलत तरह के फैट का सेवन ज्यादा करने लगते हैं तो बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है।

मतलब पिज्जा, बर्गर, फास्ट फूड, जंक फूड, रेड मीट, घी, बटर, तेल वाली चीजें ज्यादा खाएंगे तो इससे गंदा फैट शरीर में जमा होने लगेगा जो धमनियों को जाम करने लगेगा। इसके साथ ही यदि आप एक्सरसाइज नहीं करेंगे, शरीर को हिलाएंगे-डुलाएंगे नहीं तो भी आपके शरीर में जो फैट है वह मेटाबोलाइज नहीं होगा। आमतौर पर जब किसी को हार्ट अटैक होता है तो पहले से कुछ भी पता नहीं चलता। इसका कारण है कि जब खून की नलियों में कोलेस्ट्रॉल जमा होते रहता है तो इसका कोई संकेत नहीं दिखता। इसलिए अपने आप ही इसकी जांच करानी चाहिए। वहीं कुछ विशेषज्ञों का कहना हैं कि 20-22 साल की उम्र से ही साल में एक बार लिपिड प्रोफाइल की जांच जरूर करानी चाहिए। अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ा है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। मालूम हो कि हमारे शरीर में जीवन को चलाने के लिए एक सिस्टम है। इस सिस्टम की लाइव प्रक्रिया का नाम है हार्ट अटैक। हमें जिंदा रहने के लिए सबसे पहले ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ऑक्सीजन को लंग्स खींच लेता है और इसे खून में पहुंचा देता है। खून शरीर के कतरे-कतरे में ऑक्सीजन लेकर जाता है लेकिन यह अपने आप नहीं जाता बल्कि इसे हार्ट पंप कर शरीर के हर हिस्से में भेजता है। इसलिए हार्ट को पंपिंग मशीन कहा जाता है। जिस तरह खून ऑक्सीजन को पहुंचाता है उसी तरह भोजन से प्राप्त पोषक तत्वों को भी खून ही शरीर की हर कोशिकाओं तक पहुंचाता है। इसलिए अगर यह पंपिंग सिस्टम काम न करे तो क्या हाल होगा इसकी कल्पना कर सकते हैं।

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