Climate Change से लड़ने के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम बनाने पर दिया गया जोर
बलेम। अमेजन के जंगलों को बचाने के लिए ब्राजील सहित आठ देश इस समय एकजुट होकर रणनीति पर काम करने जा रहे हैं। इसके लिए पिछले दिनों एक बैठक भी हुई है। बैठक ब्राजील के शहर बलेम में आयोजित हुई जिसमें ब्राजील सहित बोलीविया, कोलंबिया और पेरू के राष्ट्रपति, जबकि इक्वाडोर, गुयाना, सूरीनाम व वेनेजुएला के प्रमुख अधिकारी अमेजन जंगल को बचाने के मकसद से इकट्ठे हुए। अमेजन जंगल के इलाके वाले इन देशों ने औद्योगिक देशों से वर्षा वनों को बचाने के लिए ज्यादा कोशिश करने को कहा है। बलेम में ये दो दिनी बैठक अमेजन को-ऑपरेशन ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन ने कराई, जो अमेजन जंगल के इलाकों के देशों का 45 साल पुराना गठबंधन है। ये इस संगठन की 45 साल में सिर्फ तीन बैठक हुई हैं। पिछली बैठक 14 साल पहले हुई थी। इस बार की बैठक में शामिल देश अमेजन को लेकर एक विकास कार्यक्रम तैयार कर रहे हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उनकी बात सुनी जाए। बेलम की बैठक में अमेजन के इलाके वाले देश जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम बनाने के मकसद से इकट्ठे हुए थे। इस दौरान दक्षिण अमेरिकी देशों ने कहा कि वर्षा वनों को हो रहे नुकसान को कुछ लोग नहीं रोक सकते। ब्राजील, कोलंबिया और बोलीविया के राष्ट्रपतियों ने पहले दिन साझा बयान दिया, जिसमें उन्होंने अमेजन को बचाने के लिए कटाई को रोकने की बात कही। उन्होंने अमेजन जंगल के इलाके में आर्थिक विकास की जरूरत पर भी जोर दिया। बता दें कि कुछ शोध रिपोर्ट्स में कहा गया है कि अमेजन जंगलों के 25 फीसदी खत्म होने पर बारिश में बहुत ज्यादा कमी आ जाएगी। अगर ऐसा हुआ तो अमेजन का करीब आधा हिस्सा घास के मैदान में तब्दील हो जाएगा। इस मामले में ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डि सिल्वा ने इसे वैश्विक चिंता बताया है। उन्होंने अमेजन को लेकर वैश्विक चिंता का फायदा उठाने की रणनीति पर चलना चाहते हैं। उनके शुरुआती 7 महीने के कार्यकाल में ही जंगल कटाई में 42 फीसदी की गिरावट आई है। अब उन्होंने जंगलों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद मांगी है। बता दें कि अमेजन जंगल भारत से दोगुने इलाके में फैले हुए हैं। उसका दो-तिहाई हिस्सा ब्राजील में है। वहीं, बाकी एक तिहाई हिस्सा सात दूसरे देशों में फैला है। आर्थिक फायदा लेने के लिए इन जंगलों में लंबे समय से कटाई की जा रही है। इससे यहां की समृद्ध जैव विविधता और यहां के मूलनिवासियों को बहुत नुकसान हुआ है।
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