बच्चों, किशोरों में mobile के कारण बढ़ रही थकान
मोबाइल का अघिक उपयोग बच्चों को बीमार बना रहा है। यहां तक कि बच्चे अकसर थके-थके नजर आते हैं, नींद कम होने के साथ ही उनकी उनकी दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है। इस प्रकार के प्रभाव को तकनीकी भाषा में (टेक्नोफेरेंस) कहा जाता है। वहीं एक अध्ययन में टेक्नोफेरेंस से प्रभावित बच्चों की तादाद बढ़ती हुई पायी गयी है। इसके साथ ही यह भी पाया गया कि स्मार्ट फोन और कंप्यूटर के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से किशोर अवसाद के शिकार होते जा रहे हैं यहां तक कि खुदकुशी भी कर रहे हैं। इस अध्ययन में के परिणामें के अनुसार लड़कों के मुकाबले लड़कियां अवसाद का ज्यादा शिकार होती हैं। इसमें देखा गया कि आत्महत्या की पृवत्ति 65 फीसदी तक बढ़ी है। साथ ही खुदकुशी के बारे में सोचने, खुदकुशी का प्रयास करने, खुदकुशी की योजना बनान वाली लड़कियों कि संख्या में पिछले कुछ सालों में 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है जबकि अवसाद में आने वाली किशोरियों की संख्या 58 फीसदी तक देखी गई हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया है कि पिछले 5 सालों में किशोरों की जीवनशैली में बहुत हैरान कर देने वाला बदलाव आया है। आजकल किशोर अपना ज्यादा समय आउटडोर एक्टिविटी के बजाए स्मार्ट फोन और इंटरनेट पर गुजारते हैं। डिजिटल डिवाइस के नकारात्मक असर के कारण टीनेजर्स मानसिक तनाव का भी शिकार होते जा रहे हैं। साथ ही अध्ययन की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि जो टीनेजर्स अपना ज्यादा समय आउटडोर गेम्स, सोशल इंटरेक्शन, पढ़ाई, व्यायाम में लगाते हैं, वो लोग कम ही अवसाद का शिकार होते हैं।
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