दुनिया के 20 प्रतिशत तेल सप्लाई रूट पर ईरानी मिसाइलें तैनात, तनाव के चलते क्रूड 15 प्रतिशत महंगा
ईरान-इजराइल टकराव से बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम
तेलअवीव। 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया में ईरानी दूतावास पर हमला किया। ईरान ने 12 दिन बाद यानी 13 अप्रैल को इसके जवाब में इजराइल पर 300 मिसाइलों और ड्रोन से अटैक कर दिया। मिडिल ईस्ट में तनाव के चलते इंटरनेशनल ऑयल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा असर भारतीयों की जेब पर पड़ सकता है। इस स्टोरी में जानिए इजराइल-ईरान जंग से तेल की कीमत पर कितना असर पड़ सकता है, कैसे 21 साल पहले अमेरिका और इजराइल ने भारत को ईरान से तेल नहीं खरीदने के लिए मजबूर किया था।
ईरान ने इजराइल पर सीधा हमला करने से एक दिन पहले ओमान की खाड़ी में होर्मुज पास से गुजर रहे एक जहाज पर कब्जा कर लिया था। दुनिया के 20 प्रतिशत तेल की सप्लाई इसी होर्मुज पास से होती है। यहां ईरान की कई सौ बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलें तैनात हैं। दोनों देशों में विवाद बढ़ा तो इजराइल इस इलाके से जहाजों की आवाजाही रोक देगा। ईरान स्वेज नहर को भी ब्लॉक करने की धमकी दे चुका है। स्वेज नहर से हर दिन 5.5 मिलियन बैरल से ज्यादा क्रूड ऑयल की सप्लाई होती है। वित्त वर्ष 2023 में भारत का 65 प्रतिशत क्रूड ऑयल स्वेज नहर के रास्ते से आया था।
स्वेज नहर और होर्मुज पास में किसी भी तरह की रुकावट तेल की सप्लाई का बड़ा हिस्सा प्रभावित होगा। इन सब अटकलों के बीच तेल के बाजार पर इसका असर दिखाई देने लगा है। ईरान और इजराइल में तनाव की शुरुआत 1 अप्रैल को हुई थी। तब से अब तक क्रूड ऑयल के दाम 80 डॉलर प्रति बैरल से बढक़र 90 डॉलर प्रति बैरल हो चुके हैं। अमेरिकी थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक अगर तनाव कम नहीं हुआ तो तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल भी जा सकते हैं। एनर्जी पॉलिसी और जियोपॉलिटिक्स एक्पसपर्ट नरेंद्र तनेता बताते हैं कि ऑयल पूरी दुनिया में एक राजनीतिक कमोडिटी है। सारा तेल मध्य पूर्व (मिडिल ईस्ट) से आता है। यहां बड़े-बड़े तेल उत्पादक देश जैसे सऊदी अरब, कुवैत, ओमान और इराक हैं।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!