RBI ने नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा
सीआरआर को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत किया गया
मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने कार्यकाल की आखिरी एमपीसी बैठक में एक बार फिर आम आदमी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आरबीआई ने नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। हालांकि अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाने के मकसद से सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया गया। इस कदम से बैंकों में 1.16 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी। सीआरआर के तहत वाणिज्यिक बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास नकद भंडार के रूप में निर्धारित हिस्सा रखना होता है। इसके साथ ही आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया। इसके अलावा खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 4.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत रखने का फैसला किया गया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार को शुरू हुई तीन दिवसीय बैठक में ये निर्णय दिए गए। एमपीसी ने नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय लिया है और उन्होंने इसे तटस्थ रूप में बनाए रखने का भी निर्णय लिया है। रेपो दर उस ब्याज दर को कहते हैं, जिस पर वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई इस दर का उपयोग मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिए करती है। आरबीआई के निर्णयों का मकसद अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना और नकदी प्रवाह को बढ़ाना है। इन निर्णयों के परिणामस्वरूप बैंकों को अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होने की संभावना है जो अर्थव्यवस्था में वृद्धि और विश्वास को बढ़ा सकती है। आरबीआई के अगले कदम की प्रतीक्षा की जा रही है, जिसमें वित्तीय स्थिरता और विकास को सुनिश्चित करने के उद्देश्य शामिल हो सकते हैं। नीतिगत दरों के संयम और नकदी की सुदृढ़ता के माध्यम से आरबीआई देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए कठिन काम में जुटी है।
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