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  • Thursday, 25 December 2025
श्वसन संक्रमण फेफड़ों में मौजूद ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है पुन: सक्रिय: Research

श्वसन संक्रमण फेफड़ों में मौजूद ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है पुन: सक्रिय: Research

वाशिंगटन। कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा जैसे आम श्वसन संक्रमण फेफड़ों में निष्क्रिय अवस्था में मौजूद ब्रेस्ट कैंसर कोशिकाओं को पुनः सक्रिय कर सकते हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है एक ताजा अध्ययन में। इससे नए मेटास्टेटिक ट्यूमर बनने की संभावना बढ़ जाती है, जो कैंसर की वापसी और गंभीरता को बढ़ा सकता है। अमेरिका के अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता जूलियो अगुइरे-घिसो के अनुसार, यह निष्कर्ष दर्शाता है कि कैंसर से बच चुके लोगों को भविष्य में कोविड-19 या अन्य श्वसन संक्रमणों से अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। उनका कहना है कि ऐसे संक्रमणों से बचने के लिए वैक्सीनेशन और समय-समय पर चिकित्सकीय परामर्श लेना बेहद ज़रूरी हो जाता है। इस शोध से पहले किए गए अध्ययनों में यह देखा गया था कि शरीर में सूजन की प्रक्रिया कैंसर की निष्क्रिय कोशिकाओं को सक्रिय करने में भूमिका निभा सकती है। ये कोशिकाएं अक्सर प्राइमरी ट्यूमर से अलग होकर शरीर के अन्य हिस्सों विशेष रूप से फेफड़ों में जाकर वर्षों तक निष्क्रिय अवस्था में पड़ी रहती हैं।

लेकिन जब कोई गंभीर संक्रमण या सूजन उत्पन्न होती है, तो ये कोशिकाएं फिर से सक्रिय होकर मेटास्टेसिस की प्रक्रिया शुरू कर देती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक स्तर पर कैंसर मृत्यु दर में जो इज़ाफा देखा गया, वह इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। शोध में चूहों को कोविड-19 (सार्स-कोविड-2) और इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमित किया गया। परिणामस्वरूप, उनके फेफड़ों में मौजूद निष्क्रिय कैंसर कोशिकाएं मात्र कुछ दिनों में सक्रिय हो गईं और दो सप्ताह के भीतर मेटास्टेटिक ट्यूमर विकसित हो गए। इस प्रतिक्रिया के पीछे इंटरल्यूकिन-6 नामक एक प्रोटीन की भूमिका पाई गई, जो संक्रमण के दौरान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा छोड़ा जाता है। मानव रोगियों के डेटा के विश्लेषण से भी यह पुष्टि हुई कि जिन कैंसर सर्वाइवर्स को किसी भी प्रकार का श्वसन संक्रमण हुआ, उनमें मेटास्टेसिस का खतरा सामान्य लोगों की तुलना में अधिक था, विशेष रूप से संक्रमण के पहले साल में। नीदरलैंड्स की यूट्रीख्ट यूनिवर्सिटी के रूल वर्म्यूलन ने बताया कि यह अध्ययन उस समय किया गया था जब कोविड-19 के टीके उपलब्ध नहीं थे, जिससे इसकी गंभीरता और भी बढ़ जाती है। यह शोध कैंसर सर्वाइवर्स और उनके डॉक्टरों के लिए एक महत्त्वपूर्ण चेतावनी है कि उन्हें संक्रमणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।

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