
Medical Imaging के क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने हासिल की ऐतिहासिक उपलब्धि
नॉर्थवेस्टर्न। अमेरिका और चाइना के वैज्ञानिकों ने मेडिकल इमेजिंग के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और चीन की सूझो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर दुनिया का पहला पेरोव्स्काइट-बेस्ड डिटेक्टर विकसित किया है, जो गामा किरणों को बेहद सटीकता से पकड़ने में सक्षम है। यह नई तकनीक मेडिकल डायग्नोसिस के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। इस खोज के जरिए स्पेक्ट स्कैनिंग (सिंगल- फोटोन इमिशन कम्पूटेड टोमोग्राफी) अब पहले से कहीं अधिक साफ, सस्ती और सुरक्षित हो जाएगी। अब तक मेडिकल स्कैनिंग के लिए सीझेडटी (कैडमियम जिंक टेलुराइड) और एनएआई (सोडियम आयोडाइड) क्रिस्टल्स का उपयोग किया जाता रहा है। हालांकि, इन दोनों की अपनी सीमाएं थीं। सीझेडटी डिटेक्टर्स की कीमत लाखों डॉलर तक होती है और वे बेहद नाजुक होते हैं, जबकि एनएआई डिटेक्टर्स सस्ते तो हैं, लेकिन उनसे बनने वाली इमेज धुंधली और कम सटीक होती है। नई पेरोव्स्काइट तकनीक इन दोनों की कमियों को खत्म करती है और इमेजिंग की गुणवत्ता को नई ऊंचाई पर ले जाती है। पेरोव्स्काइट क्रिस्टल्स को पहले सौर ऊर्जा उत्पादन में उनकी दक्षता के लिए जाना जाता था, लेकिन अब इन्हें चिकित्सा तकनीक में भी उतनी ही क्रांतिकारी भूमिका निभाते देखा जा रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन क्रिस्टल्स से बने डिटेक्टर्स न केवल उच्च ऊर्जा रेज़ोल्यूशन प्रदान करते हैं, बल्कि वे पिक्सल-बेस्ड सेंसर तकनीक का उपयोग करके शरीर के भीतर की सूक्ष्मतम जानकारी को भी सटीकता से दर्ज कर सकते हैं।
यह सेंसर उसी सिद्धांत पर काम करता है, जिस पर स्मार्टफोन कैमरे के पिक्सल काम करते हैं, जिससे मेडिकल इमेजिंग की स्पष्टता और गहराई कई गुना बढ़ जाती है। इस खोज से मरीजों को भी बड़ा फायदा होगा। नई तकनीक के जरिए स्कैनिंग प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी, जिससे मरीजों को कम समय तक स्थिर रहना पड़ेगा। इसके अलावा, पेरोव्स्काइट डिटेक्टर्स की संवेदनशीलता अधिक होने के कारण स्कैन के दौरान रेडिएशन की मात्रा भी घट जाएगी, जिससे सुरक्षा स्तर में वृद्धि होगी। डॉक्टरों को अब पहले से कहीं अधिक स्पष्ट, सटीक और उच्च गुणवत्ता वाली डायग्नोस्टिक इमेज मिलेंगी, जिससे रोगों की पहचान और उपचार योजनाएं अधिक प्रभावी ढंग से बनाई जा सकेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक आने वाले समय में पारंपरिक सीझेडटी और एनएएल डिटेक्टर्स को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर सकती है। पेरोव्स्काइट डिटेक्टर्स के कम लागत वाले निर्माण और उच्च प्रदर्शन क्षमता के कारण यह न केवल उन्नत अस्पतालों बल्कि छोटे चिकित्सा केंद्रों में भी उपयोगी सिद्ध होगी। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक मेडिकल इमेजिंग को नया आयाम देगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं अधिक सटीक, सुलभ और मरीजों के लिए सुरक्षित बनेंगी।
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