Dark Mode
  • Wednesday, 04 June 2025
Bangladesh में करेंसी से हटाई शेख मुजीब की तस्वीर, नई करेंसी जारी

Bangladesh में करेंसी से हटाई शेख मुजीब की तस्वीर, नई करेंसी जारी

करेंसी में मस्जिद-मंदिर की तस्वीरें, विपक्ष व नागरिक पूछ रहे सवाल

ढाका। बांग्लादेश बैंक ने नई करेंसी जारी की है जिसमें दशकों से मौजूद राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीर को हटा दिया गया है, उसकी जगह धार्मिक स्थलों विशेष रूप से मस्जिदों की तस्वीरें छापी गई हैं। करेंसी में मंदिर की तस्वीरें भी लगाई है, लेकिन सवाल एक प्रमुख मस्जिद की तस्वीर को लेकर, जिसे लेकर विपक्ष, बुद्धिजीवी और आम नागरिक सवाल पूछ रहे हैं। क्या यह नया बांग्लादेश है या तालिबानी सोच की वापसी? 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तान से आजादी दिलाने वाले शेख मुजीब बांग्लादेश की पहचान थे। उनके चेहरे वाला नोट सिर्फ करेंसी नहीं था बल्कि एक विचार था, लेकिन अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के पतन के बाद सत्ता में आई नई सरकार का रुख अब इस पहचान को मिटाने में लगा है। सिर्फ करेंसी नहीं कई सरकारी इमारतों, संस्थानों और सड़कों से भी शेख मुजीब से जुड़ी पहचान को हटाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बांग्लादेश बैंक ने 9 में से 3 नोटों की नई सीरीज जारी की है। इसमें न किसी नेता का चेहरा है, न राष्ट्रपिता की छवि। करेंसी में मस्जिद बौद्ध विहार, मंदिर और बंगाल अकाल पर आधारित एक प्रसिद्ध चित्र को।

हालांकि जहां एक ओर ये विविधता प्रतीत होती है, वहीं मस्जिद की प्रमुखता को लेकर यह आलोचना हो रही है कि धार्मिक एजेंडा को ‘राष्ट्रीय प्रतीकों’ पर थोपने की कोशिश की जा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल में मानवता के खिलाफ अपराधों का केस दर्ज हो चुका है. उन पर 2024 के छात्र आंदोलनों को कुचलने के आरोप हैं जिसमें 1400 से अधिक मौतें हुईं. लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि नई सरकार जिसने अब तक खुद को लोकतांत्रिक बताया है न तो इस केस पर कोई पारदर्शिता दिखा रही है और न ही शेख हसीना के विरोध में हुई कार्रवाइयों की निष्पक्ष जांच की बात कर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश में यह बदलाव किसी सुधार की दिशा में नहीं बल्कि आइडेंटिटी वाइपआउट की रणनीति की तरह लग रहा है. नई सरकार न सिर्फ पुराने शासन के प्रतीकों को हटाने में लगी है, बल्कि अपने धार्मिक और वैचारिक एजेंडे को ‘राष्ट्रीय गौरव’ के नाम पर थोप रही है. बांग्लादेश कभी भी तालिबान जैसा कट्टरपंथी देश नहीं रहा. लेकिन आज जो बदलाव वहां की नीतियों, प्रतीकों और सरकार के कामकाज की शैली में देखने को मिल रहा है, वह उस ओर इशारा जरूर कर रहा है।

Comment / Reply From

You May Also Like

Newsletter

Subscribe to our mailing list to get the new updates!