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राजा वापस आओ, देश बचाओ के लगे नारे

राजा वापस आओ, देश बचाओ के लगे नारे

नेपाल में डेढ़ दशक बाद राजशाही समर्थकों ने खोला मोर्चा
काठमांडू। नेपाल में डेढ़ दशक बाद राजशाही समर्थकों ने राजा वापस आओ, देश बचाओ के नारे बुलंद करना शुरु कर दिए हैं। कहा जा रहा है कि नेपाल को राजशाही के बहाने वापस हिंदू राष्ट्र घोषित करवाने के लिए यह मुहिम चलाई गई है। गौरतलब है कि राजशाही खत्म होने और लोकतंत्र बहाल होने के साथ ही नेपाल को सेकुलर देश घोषित कर दिया गया था। अब यहां राजशाही लाने के लिए आंदोलन हो रहे हैं।


यहां बतलाते चलें कि कुछ रोज पहले ही काठमांडू की सड़कों पर राजशाही समर्थक उतरे थे और राजा वापस आओ, देश बचाओ, जैसे नारे भी लगाए। प्रदर्शन कर रहे लोगों का आरोप है कि देश की सारी राजनैतिक पार्टियां भ्रष्टाचारी हैं। इन पर आरोप लग रहा है कि ये दूसरे धर्मों को बढ़ावा दे रही हैं। इससे नेपाल की पहचान को खतरा उत्पन्न होने की भी बात कही जा रही है। ऐसे में इन लोगों ने राजपरिवार को दोबारा शासन सौंपे जाने और उन्हें देश के लिए नियम तय करने देने की मांग उठाई है। राजनीतिक भ्रष्टाचार से देश की आर्थिक स्थिति बिगड़ने के आरोप भी लगते रहे हैं। बताया जा रहा है कि राजशाही खत्म होने के बाद राजनीतिक दलों ने चीन से नजदीकियां बढ़ा ली हैं और इनवेस्टमेंट के नाम पर चीन लगातार नेपाल में घुसपैठ कर रहा है। नेपाल की सड़कों को बनाने से लेकर एयरपोर्ट का कार्य भी चीन के पास है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यदि नेपाल चीनी कर्ज में डूब गया तो वह रसातल में चला जाएगा।


बड़ी संख्या में हुआ धर्मांतरण
राजशाही खत्म होने के बाद नेपाल में धर्मांतरण के मामले बढ़ गए हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि थिंक टैंक गॉर्डन कॉनवेल थियोलॉजिकल सेमिन्री की एक दशक पूर्व की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि नेपाल में चर्च जिस तेजी से बढ़े हैं, उसका प्रतिशत दुनिया में सबसे ज्यादा है। आरोप है कि कथित तोर पर दलित समुदाय में धर्मांतरण के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं। सेंसस 2021 के अनुसार नेपाल में हिंदुओं की कुल आबादी 81 फीसदी से ज्यादा है। यहां 8 फीसद के करीब बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं। इस्लाम मानने वालों की तादाद 5 फीसदी से कुछ ज्यादा ही है और अंत में ईसाई धर्म के लोग आते हैं, बाकी मिले-जुले धर्म के लोग हैं। एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा जा रहा है कि नेपाल में महज कुछ सालों में ही 7,758 चर्च बनाए जा चुके हैं।


राजशाही को कमजोर करने वाली घटना
गौरतलब है कि साल 2008 में नेपाल के आखिरी राजा ज्ञानेंद्र को अपदस्थ कर राजशाही खत्म कर दी गई थी। इससे पहले जून 2001 में हुई घटना में रॉयल परिवार के ही एक सदस्य ने फैमिली के 9 सदस्यों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटनाक्रम के बाद राजशाही पर संकट गहराया और लोकतांत्रिक सरकार बनाने की मांग भी तेजी से उठी। अभी नेपाल में लोकतंत्र को डेढ़ दशक ही हुए थे कि राजा ज्ञानेंद को दोबारा देश की बागडोर देने की मांग जोर पकड़ने लगी है। राजा वापस आओ, देश बचाओ के नारे बुलंद किए जा रहे हैं।

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