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Myanmar में सीधे दखल दे रहा चीन, भारत और अमेरिका के लिए परेशानी

Myanmar में सीधे दखल दे रहा चीन, भारत और अमेरिका के लिए परेशानी

नेपीडा। म्यांमार में फरवरी, 2021 में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से लगातार अराजकता दिख रही है। म्यांमार में बीते चार सालों में 500 से ज्यादा नए सशस्त्र समूह बन गए हैं। इसके अलावा पहले से मौजूद जातीय सशस्त्र संगठन (ईएओ) भी हैं। ये गुट बड़े पैमाने पर जुंटा शासन को चुनौती दे रहे हैं। जुंटा सेना और विद्रोही समूहों के बीच 16,000 से ज्यादा सशस्त्र झड़पें बीते चार साल में हुई हैं। इस पूरे घटनाक्रम में चीन का भी एक अहम रोल है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन म्यांमार में एक शक्तिशाली खिलाड़ी है। वह आधिकारिक तौर पर गैर-हस्तक्षेप की नीति का पालन करने की बात कहता है लेकिन 2021 के तख्तापलट के बाद से बीजिंग के दृष्टिकोण में बदलाव आया है। म्यांमार पर चीन का ध्यान अपने रणनीतिक निवेशों को अस्थिरता से बचाने और अपनी दक्षिण-पश्चिमी सीमा पर होने वाले घटनाक्रम पर नजर रखना है।

चीन ने म्यांमार में एक ऐसा समाधान निकालने की कोशिश की है, जो उसके हितों के अनुरूप हो। चीन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि म्यांमार में कोई भी पक्ष इतना मजबूत ना हो सके, कि उसके लिए चुनौती बने। इसके बाद चीन ने अपनी भूमिका म्यांमार में बढ़ाई है। म्यांमार का भविष्य तय करने में भी चीन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इसमें म्यांमार के विद्रोही समूहों के लिए मुश्किल भी पैदा हो सकती है। म्यांमार में अक्टूबर, 2023 को तीन संगठनों अराकान आर्मी (एए), म्यांमार नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस आर्मी (एमएनडीएए) और ताआंग नेशनल लिबरेशन आर्मी (टीएनएलए) ने मिलकर जुंटा के खिलाफ ऑपरेशन 1027 शुरू किया। इस ऑपरेशन में जुंटा सेना को भारी नुकसान पहुंचा है। विद्रोही गुटों ने रणनीतिक रूप से अहम कई चौकियां जुंटा से छीन ली है। म्यांमार के गृहयुद्ध में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। ऑपरेशन 1027 के बाद से चीन ने मध्यस्थता करने में ज्यादा जोर दिया है। इसका असर तब देखा गया, जब अप्रैल 2025 में नौ महीने तक लाशियाओ पर कब्जा रखने के बाद एमएनडीएए के सैनिकों ने शहर को वापस सेना को सौंप दिया। चीन के हस्तक्षेप के बिना यह संभव नहीं था। चीन लगातार म्यांमार में यह तय कर रहा है कि बातचीत की मेज पर कौन बैठेगा और नतीजे में किसे क्या मिलेगा। चीन के प्रभाव से सबसे चिंता की बात यह है कि बीजिंग सीधे म्यांमार में शामिल हो रहा है। इससे दुनिया में दो तरह की बातें हो सकती हैं। एक ये कि दुनिया म्यांमार को भूल जाए और दूसरा अमेरिका और चीन के बीच मुकाबला। दोनों ही बातें म्यांमार के लिए खतरनाक हैं। म्यांमार में चीन का बढ़ता प्रभाव अमेरिका ही नहीं भारत जैसी क्षेत्रीय ताकतों को भी मुश्किल में डाल सकता है।

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