साफ-सुथरी ऊर्जा के मामले में अमेरिका से आगे निकलने में जुटा China
न्यूक्लियर एनर्जी के मामले में सबसे आगे
वॉशिंगटन। चीन साफ-सुथरी ऊर्जा का अनंत भंडार हासिल करने के करीब है। हाल ही में उसके न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर ने 1000 सेकंड यानी करीब 17 मिनट तक बेहद गर्म प्लाज्मा को बनाए रखने में सफलता हासिल की है। इस दौरान, रिएक्टर से लगातार 7 करोड़ डिग्री सेल्सियस ऊर्जा निकलती रही। न्यूक्लियर एनर्जी में ही दुनिया का फ्यूचर है और चीन इस रेस में सबसे आगे निकलने में जुटा है। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन अपने दक्षिण-पश्चिमी इलाके में एक्स-शेप वाली एक विशाल इमारत बना रहा है। यह इमारत मियानयांग (सिचुआन प्रांत) में बन रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह एक न्यूक्लियर फ्यूजन रिसर्च सेंटर है। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने बताया कि 2020 में जगह एक खाली मैदान थी, लेकिन कोविड लॉकडाउन के बाद यहां कंस्ट्रक्शन बड़ी तेजी से होने लगा। यह एक लेजर फ्यूजन फैसिलिटी बनाई जा रही है, जहां चार बड़ी लेजर आर्म्स एक केंद्रीय टॉवर पर सेंटर्ड होंगी। इस टावर में हाइड्रोजन आइसोटोप्स रखे जाएंगे और जब इनपर शक्तिशाली लेजर बीम दागी जाएगी, तब हाइड्रोजन के परमाणु जुड़कर न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शन को शुरू कर देने वाले है। इस प्रक्रिया को ‘इग्निशन’ कहा जाता है। इस तरह के प्रयोग सौरमंडल के केंद्र जैसी परिस्थितियां या न्यूक्लियर विस्फोट के शुरुआती माइक्रो सेकंड को दोहराने में मदद कर सकते हैं। न्यूक्लियर फ्यूजन वह प्रक्रिया है जिससे सूर्य और उसके जैसे अन्य तारों को ताकत मिलती है। यह हाइड्रोजन आइसोटोप्स (जैसे ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) को अत्यधिक उच्च तापमान और दबाव में जोड़कर हेलियम और ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह एक साफ-सुथरा ऊर्जा स्रोत है। यही वजह है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक इस तकनीक को ऊर्जा के भविष्य के रूप में देख रहे हैं।
यह भविष्य में कोयला, पेट्रोलियम और यहां तक कि पारंपरिक न्यूक्लियर फिशन रिएक्टर्स की जगह ले सकता है। दुनिया की कई लैब्स इस तकनीक पर काम कर रही हैं। अमेरिका, यूरोप, भारत और जापान सहित कई देश इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। चीन की यह नई फैसिलिटी इस फील्ड में गेमचेंजर साबित हो सकती है। अमेरिका में नेशनल इग्निशन फैसिलिटी (एनआईएफ), कैलिफोर्निया में स्थित एक प्रमुख लेजर फ्यूजन सेंटर है। 2022 में, एनआईएफ ने पहली बार न्यूक्लियर फ्यूजन से ‘नेट एनर्जी गेन’ हासिल करने में सफलता हासिल की थी। लेकिन चीन का नया केंद्र एनआईएफ से 50 प्रतिशत बड़ा होने की संभावना है और शायद दुनिया की सबसे बड़ी फ्यूजन रिसर्च फैसिलिटी बन सकता है। जानकार ने कहा कि ‘जिस देश के पास एनआईएफ जैसा कोई फ्यूजन सेंटर होता है, वह अपने मौजूदा परमाणु हथियारों को अपग्रेड करने और उन्हें और ज्यादा प्रभावी बनाने का प्रयास जरूर करता है। अगर चीन अपने न्यूक्लियर हथियारों की टेस्टिंग नहीं कर रहा है, तब यह एक पॉजिटिव सिग्नल हो सकता है। लेकिन अगर यह नई तरह के हथियार विकसित करने की कोशिश कर रहा है तब यह चिंता की बात है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह पूरी तरह से फ्यूजन फैसिलिटी नहीं हो सकती, बल्कि एक हाइब्रिड फ्यूजन-फिशन सेंटर हो सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अभी अमेरिका फ्यूजन टेक्नोलॉजी में आगे है, लेकिन चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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