चीनी विदेश मंत्री Wang Yi ने की पाक विदेश मंत्री डार के साथ बैठकें
-सीपीईसी 2.0, व्यापार और आर्थिक संबंधों जैस पहलों पर की चर्चा
इस्लामाबाद। रूस की राजधानी मॉस्को में भारत और रूस के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी। इसी समय पाकिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों ने भी इस्लामाबाद में मुलाकात की। चीनी विदेश मंत्री वांग यी 20 अगस्त को पाकिस्तान पहुंचे थे। उन्होंने हाल ही में भारत के विदेश मंत्री, डोभाल और पीएम मोदी के साथ उच्च-स्तरीय बैठकें की थीं। इसके बाद वह अफगानिस्तान भी गए थे। वहां से पाकिस्तान पहुंचे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद में वांग यी ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री इशाक डार के साथ बैठकें कीं। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने पाकिस्तान-चीन संबंधों की पूरी समीक्षा की और महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) 2.0, व्यापार और आर्थिक संबंधों, बहुपक्षीय सहयोग और द्विपक्षीय सहयोग के कई पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श किया। पाकिस्तान और चीन के नेताओं ने सहमति जताई कि दोनों देशों के बीच दोस्ती क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अहम है। यह बैठक भारत के लिए अहम है, खासकर इसलिए क्योंकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा पीओके से होकर गुजरता है। भारत इसे अपना क्षेत्र मानता है। भारत लगातार इस परियोजना का विरोध कर रहा है और इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सीपीईसी के ढांचे के तहत पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ती नजदीकी भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती पेश करती है। यह खासकर ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बना हुआ है और भारत और पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन स्कूल के प्रोफेसर ने सीपीईसी के भारत के लिए सामरिक निहितार्थों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सीपीईसी सिर्फ एक आर्थिक पहल नहीं है, यह भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती है। उन्होंने बताया कि यह गलियारा करीब 3,000 किलोमीटर तक फैला हुआ है, जो चीन के शिनजियांग प्रांत में काशगर को पाकिस्तान के बलूचिस्तान में ग्वादर से जोड़ता है। इसमें सड़कें, रेलवे, पाइपलाइन, ऊर्जा बुनियादी ढांचा और ग्वादर बंदरगाह का विकास शामिल है। सबसे अहम बात यह है कि यह गलियारा मुख्य पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले पीओके और कश्मीर से होकर गुजरता है, जिस क्षेत्र को भारत अपना अभिन्न अंग मानता है। उन्होंने कहा कि कानूनी तौर पर यह भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है। उन्होंने आगे कहा कि भारत वैकल्पिक कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ावा दे रहा है, कूटनीतिक जुड़ाव को तेज कर रहा है, मजबूत क्षेत्रीय साझेदारी बना रहा है और वैश्विक मंचों पर संप्रभुता के उल्लंघन को उजागर करना जारी रखे हुए है। इसीलिए पाकिस्तान और चीन के बीच यह सामरिक संवाद केवल दो देशों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों पर भी सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!